Krishna Radha ke rang me range
Meera range Krishna k rang.....
Rukhmini hoe krodhit,
khole nayan Apne to dekhe
"Krishna Krishna hi rukhmini k sang"
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हे कान्हा.....
अवतार वैसे तो तुमने द्वापरयुग मे लिया था
"संभवामि युगे युगे"कहकर अन्याय पर न्याय को, अधर्म पर धर्म को फिरसे जिताने के लिए...
पर क्यों लगता हैं तुम्हें आज फिरसे धरती पर आने की जरूरत है
द्वापर से कुछ ज्यादा ही
देख रहे हो ना रे पितांबरधारी
आज हर देवकी आज अपने ही परिवार में सहमी सहमी सी रहती हैं
आज हर यशोदा नहीं ले पाती उसके बालगोपाल की मनभावन लीलाओं का आनंद
आज की वर्किंग सुपरमॉम जो ठहरी
कंस के आतंक ने मथुरा की ही नहीं, हैवानियत की हदें पार की है पर हमारे अंदर का कन्हैया कब जाग उठेगा
भंवर में कितने विघातक कालिया नाग छिपे हैं यहाँ
कौन करेगा इस यमुना में कालियामर्दन
आज गर कोई सुदामा बीच रास्ते में मिले तो उससे मुंह फेरने वाले कुबेर ही हैं यहाँ
उन्हें कौन अपनेपन से गले लगाएगा
डरती है कोने कोने में छिपे दुःशासन से हर द्रौपदी, कौन बचाएगा उसका पवित्र दामन
ये दुनिया जो बारात में सामने और मय्यत मे पीछे चलती हैं, क्या वहां मिलेगा कोई तुझसा साथी?
हर अर्जुन राह भटक रहा है, जुल्मी लोगों मे अपनों को देख कतरा रहा है
कौन पढ़ाकर उसे गीता, बढ़ाकार उसकाआत्मज्ञान बन जाएगा उसका सारथी
तुम ही तो हो हमारे अस्तित्व का कारण
तुम ही तो बसे हो ना हमारे अंदर
फिर छेड़ दे बांसुरी के वह दिव्य सूर,जगा दे हमारी आत्मा में बसा वह तुम्हारा रूप
और करा दे दर्शन हमें
तुम्हारी एक और कृष्णलीला का...-
खंभन को ओट लगायो औ रस्सी से बँधायो
मैय्या के प्रसाद से पालनहार भी बच न पायो-
अमृतरस कौ पाँव में होय जौ ऋषि-मुनि सब पावत हैं
इसी इच्छा के निमित्त बालकृष्ण पाँव मुख में डारत हैं-
जब पाप से घिर गया सृष्टि का सार!
विष्णु ने लिया तब कृष्ण अवतार....
(पूरा अनुशीर्षक में पढ़े)-
मैया माखन दूर है हाथ मोरा ना जाए
नन्हा सा कान्हा तेरा माखन कैसे चुराए
बाल-ग्वाल सब बैरी हैं नाम मेरा बताएँ
मुझको भोला जान के बरबस मुख लिपटाएँ-
यशोदा से पुछे गोपाल कान्हा मुख प्यारी अरी ओ मैया
अरी ओ मैया क्या मैं जाऊँ चरावन गैया अरी ओ मैया
का कहे मैय्या बिचारी बार-बार पुछे कान्हा मुख प्यारी
इक बार बोलीं मैय्या जाओ मोरे ललना औ बलिहारी
चतुर कान्हा माँगे माखन औ मिसारी अरी ओ मैय्या
अरी ओ मैया क्या मैं जाऊँ चरावन गैया ओ मैय्या-
छोटी बहिन से कंस मरा तो बेइज्जती होगी
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
याद है मुझे बचपन से ही ..मेरे घर में जनमष्टमी पर
कृष्णलीला का आयोजन होता था..मै कृष्ण बनती
बड़ी बहिन..कंस..पूरी लीला करने के बाद..अंत में
कंस को मरकर गिरना होता था..मगर इस बार खूब देर तलवार चली..12बज चुके थे आरती होनी थी..मगर कंस बनी मेरी दीदी..गिर ही नहीं रही थीं..मैने इशारा किया.. तो बोलीं नहीं गिरुँगी..भाई पापा..सबने कहा ...नहीं मानेगी..गिरजा बेटा..कंस को मरना जरूरी है..मोहल्ले के दर्शक..उन्ह़े उकसा रहे थे..रेखा..मत गिरना..दरसल यही वजह थी..जब वो हर साल कंस के रूप में मर कर गिरती तो बाद में कयी दिन तक सब उन्ह़े चिढ़ाते..छी छी छी..बड़ी होकर छोटी बहिन से हार गयी..पापा के दवाब में वो कंस बन तो गयीं मगर इस बार अड़ गयीं कि..कृष्ण गिरेगा कंस नहीं बड़ी मुश्किल से उन्होंने मरने का नाटक किया..और तब जाकर आरती एवं प्रसाद वितरण हुआ। बहुत याद आ रहा है बचपन😒-
मेरे किरदार को वो किसी और से पूछते है
हर किसी में बसता हूं एक अलग रिश्ते से-
जमुना जी के घाट पै , रचै रास चितचोर।
सुनि बंसी की धुनि मधुर, मिट गया मन का शोर।।
ग्वाल बाल अरु गोपिका, रस लें आँखें मूँद।
उदधि प्रेम कौ बन गई, सागर की हर बूँद।।
नाग कालिया देख कै, डर गए बालक वृंद।
मान किया मर्दन तुरत, फैला हर्ष अमंद।।
कबहुँ चुराए चीर प्रभु, घट फोरे प्रभु आप।
मंद मंद मुस्कान तैं, हरते सबका ताप।।
पादप मेढक कोकिला गैया वानर श्वान।
देह-अदेह-सदेह का, धरते हैं प्रभु ध्यान।।-