स्त्री और पुरुष दोनों ही
एक परिवार में उतने ही अहम है
जितना की एक घर के लिए
छत और फ़र्श....
छत कठोर ओर रूखा होकर
सारे कष्ट सहता है
और
घर को सुरक्षित
रखता है
ठीक वैसे ही जैसे कोई पुरुष
अपने परिवार को।
और....
फ़र्श घर का आधार है
जिस पर पूरा घर निर्भर
होता है
जैसे किसी स्त्री पर
एक पूरा परिवार।।-
Akshita Sinha
(अक्षिता सिन्हा)
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Joined 3 October 2017
31 MAY 2020 AT 12:05
16 AUG 2021 AT 23:01
पहले दिन अकेला होने का डर था,
और आखिरी दिन फिर अकेला हो जाने का ग़म।-
19 JUL 2021 AT 1:01
मैं संसद की कुर्सी हूँ,
वो मेरा प्रेमी नेता है।
मैं लोकतंत्र का देश हूँ,
वो लोगों पर तंत्र करता है।
मैं राष्ट्र से प्रेम करता हुँ,
वो राष्ट्र का बंटवारा चाहता है।
मैं सर्व कल्याण चाहता हूँ
वो स्वकल्याण करता है।-
29 DEC 2020 AT 9:17
दुखों का था मन में एक बवंडर,
निराशाओं ने बढ़ा दी मंजिल की क़दर।
जब आया मंजिलों के मिलने का वक़्त,
समझ बैठी उसे मृगतृष्णा, जो था हकीक़त।।-
4 DEC 2020 AT 0:14
तुम रज़ाई में लिपटे कहते रहे,
नही बीते ये ठंडी सुहानी रात!
और वो ख़ुद में सिमटा सोचता रहा,
कब होगी सुबह और बीतेगी ये बेरहम रात!!-
1 DEC 2020 AT 20:43
फ़िर भी साथ है मैं और तुम।
यूँ ही दोगे ग़र तुम साथ,
तो कल होंगे हम एक दूजे के पास।-