भारत एक कृषि प्रधान देश है,
जहाँ कृषि तो है
पर प्रधान नहीं।-
"खून जब मिट्टी में शामिल हो गया
खेत तब फसलों के काबिल हो गया
पर ये दाने फिर से क्यूँ मिट्टी हुए
शायद वजीर ए आजम बुजदिल हो गया"
✍✍✍ अतुल वर्मा
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चलो आज गांव में खुशियों के, कुछ पल जी आते हैं...!
साग~सब्जी लेने के बहाने, अपने खेतों पर घूम आते हैं...!!
जय जवान~जय किसान-
हे प्रियतम क्या तुम्हें है याद
प्रथम मिलन वह कृषि विहार
सरसों के खेतों में हम-तुम
और बगल में गेहूं बाल
पगडंडी पर अलसी पुष्प
और नभ खिली हुई थी धूप
मैं भूमि की राजकुमारी
तुम थे वसुधा के सुर भूप
हे प्रियतम क्या तुम्हें है याद
प्रथम मिलन वह कृषि विहार..
पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़ें..-
'कृषक' भाई को भार देकर माँ' भूमि भरी हैं जो
आँखों में सपने ।
कोई भी प्राणी भूखे पेट ना सो जाएं, वह 'करम'
ही है तेरे अपने ।
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कवि कर्म और कृषि कर्म में सिर्फ इतना ही फर्क है कि
कवि का कर्म उसकी रचना से निर्धारित किया जाता है
वहीं कृषि कर्म खेत में उगे फसल से।-
भारत फिर से स्वर्णिम होगा...
जनसंख्या है उफान ले रही,
हम शिखर को हैं छूने वाले;
संसाधन तो सीमित हो रहे,
जीवन-स्तर का क्या होगा?
.......
(पूरी कविता अनु शीर्षक में पढ़ें)-
विज्ञान का ताण्डव 3
जीवन की अजीब विसंगति तो देखिए!
एक ओर स्वास्थ्य सेवाओं के जरिए
व्यक्ति की औसत आयु बढ़ाने के प्रयासों ने
आयु को 25-30 साल तक बढ़ा दिया।
दूसरी ओर यही कारण
जनसंख्या वृद्धि का हेतु बन गया।
परिवार नियोजन का नया नारा चल पड़ा।
अब परिवार नियोजन की दवाओं के भी
भयंकर परिणाम सामने आने लगे हैं।-