Atul Verma   (@Poetry by atul)
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Joined 27 November 2019


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2 JUL 2021 AT 11:01


"मेरे मौला ये हाल-ए-ज़ार कितने दिन रहेंगे
सुना है अब गलत इंसान मरकर भी जिंदा रहेंगे
जिन्हें सौंपे थे कुछ संबंध छुपाकर रखने के लिए
वो सब इंसान अब नंगे रहेंगे"

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2 JUL 2021 AT 10:57


"मंदिरों को छोड़कर मस्जिदों की ओर चला
पत्थरों से दुश्मनी ली और यहाँ भी ना हुआ भला"

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30 MAY 2021 AT 11:05

"सफलता संघर्ष के दिन भुला देती है लेकिन संघर्ष हर
एक दिन सफलता को याद करता है"

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22 MAY 2021 AT 15:28

"सोहरत मिली कि दुश्मन भी पास में आये
दौलत घटी कि अपने भी औकात में आये"

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14 APR 2021 AT 21:36



"लो जमाने के लिए तुमको जमाना कर दिया
सदियों की सूखी आँखें आंसुओं से भर दिया"

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14 APR 2021 AT 21:22



"आईने की आँखों में न जाने कितने चेहरे हैं
एक हम हैं कि तुम्ही को लेके अब तक ठहरे हैं
चलते चलते इश्क़ को एक भूल तुमने कह दिया
देख तो लेते कि दिल के जख्म कितने गहरे हैं"

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13 APR 2021 AT 9:21


"तुगलकों से दोस्ती करता नहीं मैं
तानाशाहों से कभी डरता नहीं मैं
क्रांति के पथ पर अगर पग रख दिया
पथ से किंचित भी उतरता मैं नहीं"

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12 APR 2021 AT 21:32

"चाहे मुझे बिखर जाने दो चाहे मुझे समेटो
चाहे मुझे बिछड़ जाने दो चाहे संग में बैठो
कहने को क्या दुनिया है कहती ही रहेगी कुछ ना कुछ
पर चाहे मेरे हो जाओ या दुनियादारी देखो"

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12 APR 2021 AT 6:33

मौन साधने की विद्या मैं सीख नहीं पाऊँगा
तुम जितना बल मुझ पर थोपोगे मैं उतना ऊपर आऊँगा

ये लोकतंत्र की कोख से जन्मे डूबे हैं तानाशाही में
पर तानाशाही से मैं बिल्कुल भी ना घबराऊँगा

दशकों पहले कई सूर्य उग आए भारत की मिट्टी से भारतवासी हुए प्रकाशित जिनकी झूठी विनती से

वो सीमा में रहना सीखें और लाज रखें भारत माँ की
और ध्रुवित होती पीढ़ी को शिक्षा दें मानवता की

वरना इस तानाशाही से जनमन बन टकराऊँगा
और सभी षड्यंत्र सत्ता के नेस्तनाबूत कर जाऊँगा

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11 APR 2021 AT 20:14





"अंदर से शून्य और बाहर से मेला मैं
इतने गहरे जख्म और इतना अकेला मैं"

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