समझ नही आ रहा इस किरदार में
असल मे ज़िंदगी पहेली सी है या "में"-
पतझड़ नहीं इक तूफ़ान था ग़ालिब
जमीन का खिसकना भी लाजमी था
हूक ना भरी पीठ के बल गिर पड़ा
ख़ैर
कई किरदार थे शर्कश के शौकीन
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महज ऊपर से ना चमकाओ अपने आप को ।
फैले उजाला हर तरफ ताबनाक बनाओ अपने किरदार को
priti Mehra-
शौक से निकालिए नुख्श मेरे किरदार में
आप नहीं होंगे तो मुझे तरासेगा कौन..?
😊-
खुशबू फूलों से लिये अपना ये किरदार गढ़ा है
नमी आंखोमें जैसे फूलों पे शबनम को जड़ा है
न तोड़ो दिल के टूटकर भी हम तो मुस्कुरायेंगे
मरके भी इत्र सी महेक तो यहीं छोड़ जायेंगे-
तुम मेरी गजल बनकर रहना
तुम मेरे भावों में बनकर रहना ।
तुम मेरा महाकाव्य बनकर बहना
तुम मेरा किरदार बनकर रहना ।
तुम मेरे संवाद बनकर कहना
तुम मेरी परछाई बनकर चलना ।
तुम कभी मुझसे दूर एक पल मत रहना
तुम मेरी सांस बनकर मुझमें शामिल रहना ।
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मेरी कहानी में किरदार बहुत हैं मगर
मैं सबसे बेहतरीन का इंतजार कर रही हूँ.....
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सब कमियां ढूंढने में माहिर निकले.....
मेरे किरदार की खूबियां, किसी को नजर ही न आईं।।
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किरदार निभाने आये हैं और उसे निभा कर जायेंगे।चाहे कहे कोई कुछ भी हम तो इस वसुंधरा पर इतिहास गढ़ कर जाएंगे।
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किरदार!!
इस जिंदगी में कितने अलग-अलग किरदार निभाते निभाते.......
शायद इन किरदारों मैं खुद का वजूद भूल से गये है।।-