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जय श्री राम🚩🚩
जाने दर्द कितने सहे मैने उसकी चाहत में
उसके ख़ातिर अपनो से भी लड़ गए थे हम,
वो बेवफ़ा भूल गया मुझे किसी बुरे ख़्वाब की तरह
इश्क़ में उसके टूट के बिखर गए हम.-
एक रिश्ते की मौत तब हो जाती है
जब सामने वाला पराए में ढूंढने लगता है प्यार.-
तुम कैसे पढोगे अब मुझको?
बारिश में भींगा हुआ कागज़ हो गया हूँ मैं.-
कर दिया समर्पण प्यार में तो एहसास होना चाहिए,
गर थाम लिया आपने हाथ किसी का तो उसपर विश्वास होना चाहिए.
भटकते रहे हरपल मंज़िल की तलाश में,
तुम साथ हो हमेशा इस बात का आभास होना चाहिए.
दिप ऐसा जलाओ कि रोशन करे जहां को,
सबपर रब का आशीर्वाद होना चाहिए.
तुम्हारी ख़्वाहिशों के घर बसाने में लगा हूँ मै
जीत की मगर तुमको भी आस होना चाहिए.
हर पर तुमको ही जीते हैं हर पर तुम्हारा साथ होना चाहिए,
इस गुजरते वक़्त में भी मधुर एहसास होना चाहिए.
है चाहत जो हमारी उसे आज ही हम पूरा करें,
राहों में भीड़ ही रही मगर दिल मे उल्लास होना चाहिए.
तुम मेरी ज़िंदगी ही नही मेरी ज़िंदगी भी हो समझ लो तुम
अब मीठी ये ज़िन्दगी भी खास होनी चाहिए.
लम्हे वक़्त के सज रहें हैं "आज़ाद" ज़िन्दगी की डाल पर,
मिलें खुशियां हर किसी को दुआओं में यही अरदास होना चाहिए.-
मुद्दत बाद ज़हन में एक नई सी उमंग छाई है
लगता है अब मिटने वाली मेरी तन्हाई है,
नयनों में चमक हसरतों ने ली अंगड़ाई है
शायद अब मिटने वाली उनकी रूसवाई है.
अकेलेपन के अंधेरे में खुद को दिप बना
प्रेम की लौ सदा जलाई है,
इस क़दर खुद का समपर्ण कर दिया तुम्हारे प्रेम में
गर अब आकर नही मिलते मुझसे तो
ये तुमपर ही जगहंसाई है.
अश्क़ों से डूबे मेरे नयनों में कभी
तुम्हारे प्रेम की नाव नही डगमगाई है,
निगाहें "आज़ाद" की अब थक के पत्थर हो गयीं
तुम्हारी राह ताक़ते
निहारते रहतें है तुम्हारी उस तस्वीर को
जो वर्षो से मैंने दिल मे बसाई है.-
ज़िन्दगी सफर है सफर का मजा लीजिए
ज़ख्मो की परवाह ना करो चुपके से मरहम लगा लीजिए,
माना कि मंज़िल दूर है अब जिस्म में जान बाकी नही
करके हौसलों को बुलंद छलांग लम्बी लगा दीजिए.
मिलेगी मंज़िल या मौत ही मिल जाएगी
जो मिल जाए उसे यूँही स्वीकार कीजिये,
मौत तो निश्चित ही आनी है एक दिन
"आज़ाद" यूं हर बात पर घबराया ना कीजिये.
ज़िन्दगी का नाम ही दर्द है फिर डर किस बात का है
जीना अपनी मर्जी से है तो गम किस बात का है..?
ना करो इंतज़ार की हर बार वज़ह मिले मुस्कुराने की
भूल के गमों को हर बार मुस्कुराया कीजिये.-
पुराने ज़ख्मो के दर्द जब सह नही पातें हैं
रोते हुए गुज़रतें हैं दिन, बिना नींद के कटती अब रातें हैं,
इन ज़ख़्मो को काश कभी खुद से दूर कर पाऊं
तेरी गोद मे सर रख मैं रोता जाऊं.
तुम समझ लेना जज्बात मेरे गर मैं तुमसे कुछ कह ना पाऊं,
जब जाना होगा तुम्हे दूर मुझसे तो कह देना मैं मर जाऊं.
अंधेरे में ही जी रहा हूँ मैं तू कहे तो तेरी रोशनी में आ जाऊँ,
अपनी बेरंग इस ज़िन्दगी में कुछ प्यार के रंग घोल जाऊं.
काश वापस लौट आते वो दिन पुराने
मैं गमो को अपने भूल जाऊं,
काश लौट आए वो बचपन फिर से
एक बार फिर मैं "माँ" की गोद मे सो जाऊं.-
रोने ही लगा था पलकों पे आकर हर अश्क ठहर गया,
खोने ही चला था खुद को
किनारे तक जा कर हर क़दम ठहर गया.
मिलने ही लगी थी खुशियां बेशुमार
ना जाने क्यूं ये वक्त ठहर गया,
करने ही लगा था एक गुनाह
पर जाने क्यूं हौंसला बिखर गया.
बदलने ही चला था ख़ुद अपनी क़िस्मत
क़िस्मत का सबसे तेज़ सितारा करवट बदल गया,
पीने ही चला था इक जाम–ए–हसीं
आशिकी पैमाना–ए–इश्क़ छलक गया.
खो गया "आज़ाद" भी निगाहों की बेकसी में
वो जो थामे था दिल मेरा उसका दिल भी पिघल गया...-
इस क़दर दिल जलाया इश्क़ में कि दिलजले हो गए,
जबसे इश्क़ ने छुआ है हम थोड़े सिरफिरे हो गए...-