"રાત બાકી વાત બાકી"
(માઇક્રો ફિક્શન) વાંચો અનુશીર્ષકમાં...-
Tumhare pas na hone par bhi,
Tumhare sath hone ka ahesas hai,
Yah samndr ki laheron me,
tumhara pratibinb!
Jisame zalkta apaar prem!
Man ko shanti or tripti deta he.-
नव विचार को धारण करना
सब के बस की बात नहीं।
रूढ़िओं का मारण करना
सब के बस की बात नहीं।
आज बदलता है यह नवयुग,
सवाल समानता का हो जब,
नारी है नर से आगे अब,
अभिमान का वारण करना,
सब के बस की बात नहीं।
अस्तित्व की खोज है जारी
अब नारी है नर पर भारी,
बेटी बचाओ नारे यह सारे,
बेटों का उद्धारण करना,
सब के बस की बात नहीं।
- रूपल संघवी 'ऋजु' (जामनगर)
दिनांक, २६/२/२०२५ - बुधवार
-
घड़ी घूरती है टॉवर की।
ये कैसा है शहर सोचती,
शोर शराबा भागा दौड़ी
पल पल खाए उम्र नोंचती,
घड़ी घूरती है टॉवर की।
रात दिन बस टिक टिक करती,
सालों से है एक जगह पर,
ना झगड़ा ना खिटपिट करती,
घड़ी घूरती है टॉवर की।
समय, जीवन ओर बहता पानी,
सांसे जैसे घड़ी पुरानी,
ठाठ हे जब तक घड़ी है चलती,
घड़ी घूरती है टॉवर की।
- रूपल संघवी 'ऋजु'
दिनांक. २१/२/२०२५ - शुक्रवार-
चाँद को पूछा कि क्या मेरे बनोगे तुम?
उसने इतराते कहा क्या दे सकोगे तुम?
प्रेम से क्या दूर तक नाता तुम्हारा है?
दाग जो चहरे पर मेरे सह सकोगे तुम?-
देखना भर ही काफी नहीं होता।
देखना और देख कर
अनदेखा न करते हुए,
जिस तरह से हमने देखा,
वह दिखाना भी जरूरी होता है।-