नये युग का नया कायदा
सबसे पहले अपना फ़ायदा-
जो रूठे ही नहीं उन्हें मनाने का फायदा क्या है
हमें क्या पता उनके पास जाने का कायदा क्या है-
तुझे भुलाकर जी लूँ नहीं कोई ऐसा बहाना चाहिए
या तो मौत आये मेरे दर पर या तुझे आना चाहिए
रूठा अपनो से जाता है और तुम मेरे गै़र तो नहीं
मैं अपना हूँ तुम्हारा तो तुम्हें आकर मनाना चाहिए
हर दफ़ा मैं ही संभालूँ तुम्हें काँधे का सहारा देकर
कभी तो तुम्हें भी आकर मुझे गले से लगाना चाहिए
तू न्रम आँखो से देखे तो भर जाते हैं मेरे ज़ख्म सभी
करीब से गुजरो तो तहज़ीब से पलकों को उठाना चाहिए
सिर्फ अंदाज के लिए नहीं बना है कायदा ये इश्क़ का
दस्तूर ये मोहब्बत का तुम्हें भी अमल में लाना चाहिए
Andaaz Rahul
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पहले ही जल चुका वो इरादा !!
ख़ाक और क्या करोगे
आग लगाकर नहीं है फ़ायदा !!
सुलगता है आज भी
चिंगारी सी हुई दिल की अदा !!
उड़ने दो अब हर जगह
इस धुएँ का नहीं है क़ायदा !!-
टूट जाए अगर वायदा क्या हुआ...?
ऐसी कसमों का फिर फ़ायदा क्या हुआ?
तुम सिखाते थे हमको वफ़ा का सबक,
इश्क़ का ऐ सनम कायदा क्या हुआ.?
सिद्धार्थ मिश्र-
क्यूँकि तुमने बड़ा गुरूर सीखा है
मशहूर होने के लिए तू पाबंद
रहना क़ायदों में मगरूर सीखा है
अदा तेरी हो जैसी पर फिर भी
हमने सिर्फ़ हदों का दायरा लेना सीखा है
दर्द तेरा दिया हो जितना भी
इल्ज़ाम अपनी क़िस्मत को देना सीखा है-
पाबंद करके सोच को कुछ कायदों और दायरों में
नाम को, बुद्धिमानी का झूठा परचम कर जाते हैं।
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बे-अदब मोहब्बत हमारी
हदे नहीं जानती ,
ख़ुदा मान लिया उसे
इबादत के कायदे नहीं जानती...!-
क्या कायदा हम पढ़ाना भूल गए
हम दुनिया में इंसान बनाना भूल गए ।
क्यों वो अपने वतन को भूल गए
हम उन्हें क्या समझाना भूल गए ।
क्यों वो अपनी तहजीब भूल गए
हम उन्हें आईना दिखाना भूल गए ।-