छल कपट भी भला कोई करने की चीज़ है
दिल बड़ा कीजिए और हमारा मुक़ाबला लीजिए
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सबके मन का छल - कपट लिखवा दूँ
थाना - कचहरी कर एक रपट लिखवा दूँ
*रपट :- रिपोर्ट-
मैं कलयुग का इंसान हूं, मैं शैतान हूं।
बात बात पर क्रोधित मैं हो जाता हूं,
ईर्ष्या का भाव मन में लाता हूं।
बुद्धि को भ्रष्ट कर जाता हूं,
लोगों को भड़काता हूं।
हिंसा, द्वेष, क्रोध, ईर्ष्या, लालच, हवस सब मेरी पहचान हैं,
मैं इन नामों से भी जाना जाता हूं।
इंसानियत का कीड़ा मार, मैं इंसान में घर कर जाता हूं।
मैं हूं इतना शक्तिशाली कि पल भर में ही सब कुछ तहसनहस कर जाता हूं।
मैं जीते जी इंसानियत की चिता जलाता हूं,
उनको इंसान से हैवान बनाता हूं।
मैं हूं वो पापी, दुराचारी जो सोच को नकारात्मक बनाता हूं।
मैं अपने अत्याचारों से दुनियां में खौफ़ फैलाता हूं।
मैं हूं लोभ और लालच का कारण जो गरीबों की बेबसी में उनसे गलत काम करवाता हूं,
तो अमीरों को काला धन कमाने के उपाये सुझाता हूं।
मैं जिसपर भी हावी हो जाता हूं, उसकी मति भ्रष्ट कर, सारे उल्टे काम करवाता हूं।
मुझसे ही चलती हैं कलयुग की गाड़ी
तभी तो मैं लोगों का काल बन जाता हूं और कलयुगी कह लाता हूं।
अहंकार हैं मुझमें बसता, मैं कलयुग की पहचान हूं, मैं इंसान में छिपा वो शैतान हूं।।-
आज मेरे देश में
महंगाई दिन-रात बढ़ती है मेरे देश में
संचालक सोये रहते है सफ़ेद ड्रेस में.
हर इंसान जीना चाहता है,
छल, कपट, और द्वेष में.
भ्रस्टाचारी मिलता है
हर रंग के भेष में.
शैतान घूमते रहते है साधुओं की ड्रेस में
फिर भी कानून चुप है
लाचारी के इस देश में
इंसानियत बस चंद सांसें
गिन रही इस परिवेश में.
मूल्य नीति, संस्कार
पहले ही दम तोड़ चुके
पश्चिम के आगोश में
कितना मुश्किल है
लेकिन सच है ये कहना
आज भी चुप्पी साधे हुए है
लोग मेरे देश में.
😜😜😝😝-
मन मे कपट रख पैर छूकर झूठे सम्मान से अच्छा....
दूर खड़े होकर नमश्कार करना कहीं बेहतर है।।-
आत्म मुग्ध मत होइये ,नश्वर रूप व रंग
बदले रूप अनेक ही,मनु पशु पक्षी विहंग
गुण में वृद्धि कीजिये,जपिये प्रभु का नाम
झूठ कपट को छोड़िए ,बदलें जीवन ढंग-
कभी-कभी समझ भी
बड़ी कपटी होती है "ऋतु"
नासमझी को भी लोग
मुहब्बत समझ लेते हैं ।
मुहब्बत को भी लोग
नासमझी समझ लेते हैं।-
कपट और बेईमानी उन लोगों में भी होती है,
जो मंदिर या मस्ज़िद के Regular Visitor होते है...-