सर्द रातों में भी गर्मी महसूस करता हूं,
अकेले बिस्तर पर लेट बीते कल को याद मैं कर लिया करता हूं।
कैसे बीत गया वो पल जो था सबके साथ हो चला आज अकेला ,
खुशहाल हो सबकी दुनिया रब से ये दुआ मांग लिया करता हूं।
कुछ यूं उजड़ी मेरी जिंदगी खुद से खुद को सुना लिया अब मैं करता हूं,
लोगों के तानों से परेशान मैं दास ,कुछ झूठे सहारे का अहसान ले लिया करता हूं।
बिता वक्त बीते कई साल ये मुश्किल दौर भी गुजर जायेगा,
खुद से यह बात कह लिया मैं करता हूं।
थे कई अपने मेरे भी... अब है उनकी यादों का सहारा ,
आईने में खुद को देख एक से दो हैं झूठी तसल्ली मैं अब दे दिया करता हूं।
होंगे मेरे फैसले गलत भले लेकिन कोशिश हर हालात में मैं कर लिया करता हूं।
शिकायत नहीं किसी से मुझे ए दुनिया के लोगों......मैं खुद से खुद में मुस्कुरा लिया अब मैं करता हूं।।
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