कि उसकी नज़रें नख़रीली सी
ख़ता ज़रा सी करती है,
कि मन खिल-सा जाता है
कि होले दिल मुस्काता है...
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पर कभी ना छीन पाओगे मेरी गुदगुदी...
@merigudgudi
जिन कोशिशों से तुम हँसने लगे थे यूँ खिलखिलाकर
उन्हीं हरकतों को किया जब मैंने शीशे के सामने जाकर,
तब पता चला कि
कहीं न कहीं मेरा बचपन अब भी मुझमें बाकी है...-
किसी पशु की बलि देने पर
अगर कोई भगवान या अल्लाह खुश होता है
तो ये कैसा ईश्वर है!-
कि तुझे सोच हर रात मुस्कुराता हूँ
सपनों में देख मैं क्यूँ शरमाता हूँ,
सुन आजा तेरी नज़र उतारूँ
कि मैं ही तुझे नज़र लगाता हूँ...-
कर हिम्मत दिल की बात कही
और आँसू मेरे ना रुके,
कि तूने मुझको ग़लत कहा
अब मुझको मैं ग़लत लगता हूँ...-
है अफ़सोस हमें कि आपका भरोसा ही न मिला,
ग़र आप मिल भी जाते तो क्या मिलता...-
अब लगता है शायद हम हार गए,
उस वक़्त से
उस मौसम से
उस पहर से
हर एक उस लम्हें से
जिसमें तुम रहते थे
जिसमें तुम्हारी मुस्कुराहट थी
जब तुम इत्र सा महका करते थे...
वैसे कशमकश आज भी बाक़ी है
बेचैनी अब भी साथी है,
आँखों के मध्य में आज भी
चल रही तेरी ही झाँकी है...-