बेटी
प्रेरणा बन जाओ तुम,,,,
कृपया अनुशीर्षक में पढे़💐🙏-
इत उत मैं फिर रहा, ले कर अपनी प्यास ।
गुरु ने सागर दे मुझे, कर दिया उद्धार ।।
-©सचिन यादव-
लछिमन सा मूर्छित पड़ा, देखो ये संसार ।
ले आओ संजीवनी, प्रभु करो उद्धार ।।-
अगर सो कर ही जाना है मृत्यु के द्वार
तो जाग कर कर लोगे किसका उद्धार
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मैं अहिल्या बन गयी तुम राम कब बनोगे
शिला खंड से जीवन का उद्धार कब करोगे-
गुरु बिन सूना है आधार
बिखरे शब्दों को देते हैं आकार
शांत, क्लान्त रहे सभी यहां
टूटे सपने हो जाए साकार
मृग मरीचिका सी घेरे है
जिसको देखो सब हैं लाचार
भटक रहा है जीवन में राही
प्रभु कर दो उसका उद्धार!!
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सन्नाटों में सिमट-सिमट
देश कोई जब रोता है।
एक सूर्य वहीं पर उगता है
एक गाँधी पैदा होता है।
(कविता caption में)
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अवश्य पढ़ें,सादर आग्रह है।-
तू जाग कविता,
इस भारत का कर दे कुछ उद्धार
(पूरी कविता अनुशीर्षक में)-
है ज़रा नयन निर्झर मेरा,
आवेश निहित आधार कहाँ।
तुम जीत चले रणभूमि गर,
इसमें मेरी है हार कहाँ।
सुख ही कर ले गर अश्रुपात,
हो कुपित विरह का सार कहाँ।
दृग-पटल भाव का मंथन कर,
सहता अश्रु का भार कहाँ।
चहुँदिक फ़ैला गर ओस सजल।
ढूँढू कितनी बौछार कहाँ।
है परिमित जीवन का बंधन,
होता सबका उद्धार कहाँ।-