Kumar Ramesh   (✍कुमार रमेश 'राही')
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Joined 25 September 2018


Joined 25 September 2018
8 FEB 2023 AT 8:18

गुलाब कहें या लरजती आँखो का सुकून
मोहब्बत को बड़ी शिद्दत से तराशा गया है

सुफेद संगमरमरे ताज कहें या हुश्ने माहताब
तारीख से बिछड़ आमोखास प्यासा गया है

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17 JAN 2023 AT 6:32

मेरी प्यारी दीदी
एवं
मेरी प्यारी बहनु
शहद व मिश्री
दोनों को संयुक्त रूप से
जन्मोत्सव की
अनन्त हार्दिक शुभकामनाएं

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15 JAN 2023 AT 9:03

नया दौर है नयी उम्मीदें
चल अपने ख़्वाबो को ढूंढें,
टूट टूटकर बिखर बिखरकर
गिर कर भी बढ़ते जाना है....

कुछ तो मन उलझाएगा
कदमों को भी बहकाएगा
डूबती आँखों पर तैरते सपने
यूं एक हौसला दे जाएगा

जब तक है देह में साँसे
नया कहाँ ठौर ठिकाना है...

इरादों के चल छप्पर ताने
कुछ सोचा है बूढी़ माँ ने
कसम है तूझको यादों की
जिसे बिनकहे ही चाहा पा ने

पंखों में जंग लगने से पहले
खोल आसमाँ में फड़फड़ाना है...

जज़्बातों का बिछौना है
रिसते रिश्तों के आँचल में
दर्द का पहरा देहरी पर
विश्वास टंगा है सांकल में

ख़्वाहिश है उस पार की तो
अब लांघ के दरिया जाना है...

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9 OCT 2022 AT 21:38

गगन में चाँद भी इतरा रहा है
आज अपनी चाँदनी पर,
ये राग़ भी मदमस्त हुए हैं
अल्हड़ सुरों सी रागिनी पर....
रात्रि के छटा है निराली
छलका दे अमृत भरी प्याली,
ध्यान मग्न है आलाप पर
तारें सभी बजा रहे हैं ताली!
भक्ति में डूबे हैं श्याम शब्द
तेज छाया अहीरी राधा रानी पर..
सौंदर्य खेतों में है उतरा हुआ
कृपा जो तेरी बरस रही है,
धान की बालियाँ हुई सुनहरी
आशाओं में तेरी दरश रही है!
सुगंधित हुई पवित्र धरा ये
हवा चली पुष्प रातरानी पर...

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1 OCT 2022 AT 8:43

उभर बरसों की दिल में चोट आई
तेरी यादें भी उसी जगह फिर लौट आई

कैसे दिन बीतें कसकती रातें गुजरी
जब भी आई सदाएं बेपरवाह बहोत आई

बिछड़ कर ही तुमसे ये जाना खुदाया
मेरे हिस्से में टूटी ज़िंदगी नही मौत आई

रफू तो कर लेता इन जख़्मों को राही
वफाओं को गिनाने बनके तेरी सौत आई

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30 SEP 2022 AT 7:50

यूं तो दावा- ए -बरतरी नही कर रहा
खा़मोश तल्ख इन्तिहा का इंतज़ार है

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29 SEP 2022 AT 18:16

मुआवजा़ चुगता करके जख़्मो को नही भर सकते
नीलाम हुई इज़्ज़त भी कोई चीज होती है माई लार्ड

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29 SEP 2022 AT 7:39

ज़िंदगी बिखरी कोई ग़म नही
कभी तो अब्रेबहार आएगा!

होटों पर तू मुस्कुराहट रख
दिल को सुकूनेक़रार आएगा!

जो मिला नही वो धोखा था
इंतज़ार रख एतबार आएगा!

तसल्ली यूं इत्मिनान के साथ
खुद-ब-खुद गुनाहगार आएगा!

मोहब्बत में कशिश है 'राही'
लौट उसका तलबगार आएगा!

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28 SEP 2022 AT 7:16

आसमां के आँचल में उडा़न तो भरने दे
कब तक ज़िंदगी दायरे मे सिमटी रहेगी

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27 SEP 2022 AT 8:38

कैसे पूजा विधि करूं उपाय
तनिक बतलाओ हे मैया!!
रक्तबीज सा पनप रहा है
हैवानियत यहाँ घर -घर में
चीत्कार कर रही मौन वेदना
निर्णय हो पल क्षण भर में

आगे अनुशीर्षक में....

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