मन में एक उत्साह रहना चाहिए
हम सबको हमराह रहना चाहिए
बहुत लोग रास्ता भटक जाते हैं
बस सबकी परवाह रहनी चाहिए
नेक नीयत से मंज़िल मिलेगी तुम्हें
अच्छे लोगों की पनाह रहनी चाहिए
अच्छी सूरत का कुछ नहीं "आरिफ़"
दिल में तुम्हारे जगह रहनी चाहिए
"कोरा काग़ज़" नहीं है हर कोई अब
अच्छे रिश्तों से गिरह रहनी चाहिए-
मोबाइल फोन उन दिनों लोगों का एक मात्र सहारा था वायरस के कारण। उसने देखा कि माता-पिता अपने बच्चों की शिकायत करने में लगे हुए हैं कि "सारा दिन बस मोबाइल और मोबाइल में ही लगे हुए रहते हैं। पता नहीं क्या होगा इन बच्चों का।
उसी दिन "अभि" ने अपने आपसे एक वादा किया कि आज के बाद जब भी अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए देखेंगे तो उनके मन में किसी भी प्रकार की शिकायत या संशय नहीं होगा अपितु एक गर्व होगा और वो लग गया।
उसके बाद उसने अपने प्रकाशन में युवाओं को एक-एक कर के जोड़ना प्रारंभ किया और आज का दिन है कि आज कम से कम दो सौ बच्चे तथा बच्चियाँ उसके प्रकाशन में मोबाइल से एडिटिंग, प्रूफरीडिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, फॉर्मेटींग, काउंसलिंग जैसे अद्भुत व आकर्षक कार्य करते हैं और अब कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को देखकर ये नहीं कहते हैं कि क्या दिन भर मोबाइल में लगा रहता है बल्कि माता-पिता आकर आदरपूर्वक पूछते हैं कि बेटे आपने खाना खाया या चाय-कॉफी कुछ लोगे?
ये सम्मान और आदरभाव आज मोबाइल फोन के द्वारा ही सभी बच्चों को प्राप्त हुआ है, वहीं पर कई गृहस्वामिनियों को मोबाइल फोन के माध्यम से ही दोबारा अपने लेखन कार्य को प्रारंभ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ और साथ ही साथ आज तक वो कम से कम 1,500 से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन और लाखों प्रतियों का मुद्रण कर चुका है। पता है वो कौन है? वो है......-
रुदन में कितना उल्लास, कितनी शांति, कितना बल है। जो कभी एकांत में बैठकर, किसी की स्मृति में, किसी के वियोग में, सिसक-सिसक और बिलख-बिलख नहीं रोया, वह जीवन के ऐसे सुख से वंचित है, जिस पर सैकड़ों हँसिया न्योछावर हैं। उस मीठी वेदना का आनंद उन्हीं से पूछो, जिन्होंने यह सौभाग्य प्राप्त किया है।
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जीने की नयीं चाह रहे
सब कुछ मिलता है खुदा के दर पे
बस मन में सच्ची श्रद्धा रहे-
छोड़ निराशा तू पीछे मन में केवल एक उत्साह रहे।
तू उपकार बसा ले हाथों में नैनों से केवल प्रीत बहे।
मानव तू श्रेष्ठ धरा का है ऐसे पदचिह्न छोड़कर जाना तुम।
आने वाली सब नस्लों को सम्मानित स्मृतियाँ तेरी ध्यान रहे।
भयभीत कभी मत होना तुम आने वाली बाधाओं से।
बन जाना तुम उनके ईश्वर जो तुमको देख रहे आशाओं से।
है निहित तुम्हीं में सब शक्ति तुम ही जग के सर्वेश्वर हो।
फिर इतिहास तुम्हें दोहरायेगा जब तक गंगा जमुना में नीर बहे।
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सच्चाई की बस राह रहे।
स्वजनों से व्यवहार रहे,
सबके दिल में ये प्यार रहे।
मन में ये भरा उत्साह रहे,
आगे बढ़ने की चाह रहे।
यूँ खुशियों का त्योहार रहे,
खुशियों की सदाबहार रहे।
~ ©साक्षी सांकृत्यायन
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एक आशा हौसला बढ़ा देती है,
एक आशा उम्मीद की किरण जगा देती है
एक आशा एक नई राह दिखा जाती है,
एक आशा एक अंधेरे कमरे में एक उम्मीद का दीपक जलाती है
हार जाता है जब इंसान पर एक आशा ही तो हैं जो इंसान को दोबारा जीना सिखाती है,
पतझड़ में भी बसंत का संदेश लाती है
एक आशा ही तो है जो हर रास्ता आसान बना जाती है,
एक आशा हौसला बढ़ा देती है,-
मन में एक उत्साह रहे
खुदपर अपना विश्वास रहे
असंभव भी संभव होगा
चाहे क्यों ना दुश्मनों की दीवार रहे-