जाने अब मेरी कहानी में कौन सा मोड़ आएगा,
अब जब आया हू इस नए शहर अब जाने कौन मुझे छोड़ जाएगा,,-
जब मैं पत्थर वन जाऊ तो मुझसे मिलने मत आना
न जाने कितने चोट खाकर मैं पत्थर बनू कहीं तुम्हें चोट ना लग जाए,-
खुदा खैर करे इसे मेरी खुदगर्ज़ी ना समझें,
एक दिन सबको बिछड़ना किसी न किसी से इसे मेरी मनमर्जी न समझें,-
मैने तो घर में ही जमाना देखा है तुमने देखा हो भले यहां आशियाना मैने तो कैदखाना देखा है,,
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कैसे लिखूं अपने बारे मे सब कुछ भूलकर तुमको ही लिख देती हूं,
जिन शब्दों में लिखती हूं तुमको उसमें कहीं खुद को भी खो देती हूं,
मेरे बारे में भी मैं अक्सर तुमको ही लिख देती हूं,
अगर कोई बात हो लिखनी उसे भी अक्सर तुमसे जोड़ कर लिख देती हूं,
मेरी कलम भी जानती हैं मेरे मन की बात तुम भी कभी जानो,
लिखो तुम भी कभी हमारा नाम अपने दिल पर, हो सके तो तुम भी हमे अपना कुछ मानो,
कभी मन करता है शब्दों को समेटकर इसकी बारिश में तुम्हे भी भीगा दू,
संग भीगू तेरे साथ तुझे अपनी हर बात बता दू,
कभी कभी लगता हैं मेरे कलम की स्याही बस तेरा ही नाम लिखा हो,
ऐसा लगता हैं जैसे वो तेरे नाम में घुलकर कागज़ पर उतरना चाहती हों,
अब तो डर लगने लगा मेरी कलम जो सिर्फ मेरी हैं अक्सर तुम्हे ही क्यों लिखना चाहती हैं,
जब भी बात करू मैं अपनी कलम से अपनी वो हर वक्त तेरी ही बात बताती हैं,
कभी दिल करता है खफा हों जाऊ अपनी कलम से क्यों वो अक्सर तेरी ही बात करती हैं,
फिर सोचता हु लगता है बो भी मेरी तरह तुझ पर मरती हैं,
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एक वात कहूं तुम याद रखना....
खुद को उड़ते परिंदो सा आजाद रखना,
अपनी हथेलियों में खुशियों के चिराग लिए
जुनून का खुमार रखना,
अपनी कहानी का नायक न तुम मुझे बनाना
मुझे बस एक किरदार रखना,
अपनी कहानी की नायक,नायिका तुम खुद बनना
और मुश्किलो पर अपनी तलवार रखना,
कभी कमजोर भी पड़ जाओ तुम, तो
मै हू तुम्हारे साथ बस यह याद रखना,
एक वात कहूं तुम याद रखना...
मै तो जा रहा हूं तुम मेरी यादों के साथ मेरी दुआए भी साथ रखना,
अच्छा चलता हू तूझे तेरा लक्ष्य सोपकर
जब लोट कर आऊं तो कामयाबी का जिक्र मेरे हाथ रखना,
मै तेरी जिंदगी का छोटा हिस्सा ही सही
पर तुम मेरे जीवन पर गहरी छाप रखना,
ताकि याद भी करू तो तूझे प्रेरणा की तरह
तू मेरे ज़हन में ऐसी कोई बात रखना,
मैं दूर हुआ तो क्या तुम कामयाबी के किस्से लेकर
चले आना और मेरे आखों में खुशी भरे जस्बात रखना,
कामयाबी की भीड़ में भूल मत जाना हो सके तो मुझे भी याद रखना,
मेरी औकात भले ही जैसी हों, मेरे आते ही तुम अपनी फरियाद रखना,
एक बात कहूं तुम याद रखना....
-Aastha
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वही व्यक्ति स्वतंत्र हैं जो सभा में सत्य बोलने की स्वतंत्रता रखता है।
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भगवान नहीं कहते आपको मेरी पूजा करो मेरे सामने दिया जलाओ मुझे पैसे चढ़ाओ अगर आपमें जरा सी भी श्रद्धा है भगवान के लिए, तो आप इंसानियत को बरकरार रखो प्रकृति को सुरक्षित रखें वैसे तो प्रकृति हमें सुरक्षित रखती है परंतु हमने ऐसी परिस्थिति बना दी है कि अब प्रकृति को आज हमारी जरूरत है पृथ्वी को सुरक्षित रखो भगवान स्वयं ही खुश हो जाएंगे।
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काश मैं वो पेड़ बन जाता जिसके साए में तुम हर शाम गुजारा करती थी,
काश मैं वो चांद बन जाता जिससे तुम बातें किया करती थी,
काश मैं तुम्हारी बेंड पर पड़ा वो तकिया बन जाता जिस पर सिर रखकर तुम सोया करती थी,
काश मैं वो आसमान बन जाता जिसे तुम हर रात निहारा करती थी,
काश मैं वो सितारे बन जाता जिसकी खूबसूरती पर तुम हर रोज बातें किया करती थी,
काश मैं वो हवा का झोंका बन जाता जो तुम्हारी जुल्फों को छूकर गुजरा करती थी,
काश मैं तुम्हारे बगीचे का वो गुलाब बन जाता जिसे छूकर तुम उसकी खुशबू लिया करती थी,
काश मैं वो बारिश की बूंदे बन जाता जिसमें तुम भीगा करती थी,
काश मैं वो ख्वाहिश बन जाता है जो तुम्हारे दिल में बसा करती थी,
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