जो मिला उससे, गुजारा ना हुआ
जो हमारा था,वो हमारा ना हुआ
फिर,हम किसी और से मंसूब हुए
क्या ये नुकसान तुम्हारा ना हुआ-
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लिख रही है चांदनी,
अपने चांद का पता
ढूंढ दे मेरे भाई....
शायद की हो कोई खता-
ना खोज है किसी की
और ना ही है, ख़बर
साथ चल दे, तो सही
वर्ना चलु 'ये अकेला सफर'-
कामयाबी की ओर बढ़ चले कदम,
बस इतना ख्वाब था !
सब्र की बात,क्या ही कहना
हमे तो मंज़िल का प्यास था ।-
और,एक दिन गुजर गया
वो हसीन शाम......
जिनकी चाहत में बिता दिये
अपनी उम्र तमाम..-
मोहोब्बत की रोशनी से,
चमक उठा तन-मन
बात उनकी भी क्या करे
जो ना समझे,शब्द 'प्रेम'-
तेरे बिन ये रात,
मुझे लगे ऐसे..
चांद देख चकोर,
फर-फरावत हो जैसे..-
ना चाहते हुए.... भी
मेरे दिल से..........
तेरी यादें,मिटाई जा रही हैं!
साजिश हो जिनकी भी
पर,मुझे.....
तेरी आवारगी, सुनाई जा रही हैं-
ना चाहते हुए..... भी
मेरे 👩🍳दिल 💕से......
तेरी यादें,मिटाई जा रही हैं-
शुभकामना
उन, दूर-दराज के सभी!
मोटी पतली,लम्बी-नाटी व छोटी-बड़ी
बहन,जो इस रक्षाबंधन के शुभ अवसर
पर उपस्थित नहीं हो सकें।-