निदाघ दग्ध दाघ से विकल हुई कभी धरा
अंजुरी स्नेह की उछालती हैं बदलियां।।
शीत के प्रकोप जब यातनाएं सी लगी
धूप के वितान में विहंस पड़ी हैं सुर्खियां।।
प्रीति
365:5
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अपने जीवन के समस्याओं का उपाय खुद को ही खोजना पड़ता हैं।
अगर हम दूसरे पे आश्रित रहेंगे तो समस्याओं दिन प्रतदिन बढ़ती ही जाएगी।-
अक्सर लोग बोल देते हैं
हमें किसी पे आश्रित नहीं है
ये उनका वहम है
अहम में जी रहे हैं
बचपन में मां बापू
पे आश्रित हैं
शिक्षा के लिए गुरु पे
प्रकृति से खाना ,नदी से पानी
सूरज से रोशनी ले रहे होते हैं
अरे हम सभी एक दूसरे पर आश्रित हैं
हम सभी जिस पर भी आश्रित है
उनका धन्यवाद करते है-
दूरसंचार दिवस की आप सभी को
शुभकामनाएं
इसकी तारीफ में हमने चन्द शब्द लिखे हैं
कृपया कैप्शन में पढ़ें 🙏🙏-
हां थोड़ी क़िल्लत है पैसों की
पर किसी पर आश्रित नहीं हूं
कोई साथ आए तो बेहतर है
वर्ना जीवन में बाधित नहीं हूं-
सब कुछ ठीक ~ठाक होने के बावजूद भी यदि तुम
दुसरे पर आश्रित हैं तो बहुत खतरनाक है मित्रों।
मेरे लिए भी और आपके लिए भी🤗
न किसी पर आश्रित होना और न हीं किसी को अपने पर आश्रित होने देना।
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प्रेम जितक सुंदर
तितकच ते शापित
अबोला दुरावा तिरस्कार
यांतच ते आश्रित
- ©श्रीरुप
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