मैं , मैं के सिवा सब होना चाहता हूं ,
बनावटी ये दुनिया में , बनावटी सा मैं भी ।-
कृष्ण तुम सदा सिखाते रहें प्रेम ,
प्रेरणा बनी तुम्हारी राधे ,
मुरली की धुन पर रास रचाते
चोरी छुपे तुम माखन खाते ,
पर सामने जब तुम राधा को पाते
प्रेम गली में तुम खो जाते हैं
गोपियों का हृदय बस तुमको चाहे
तुम चाहो राधे को कान्हा ,
मोह माया के भेद से परे
प्रेम का दीप जला दो कान्हा ,
मिलन वियोग के खेल अनंत हैं
पर तुम प्राणों से प्यारी राधे ,
गीता को कहने वाला गोविंद
हुआ तुम्हारा ही राधे ।
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तुम सजती संवरती रहो यह सब औरों के लिए ,
मैं तो तुम्हारे लहज़े तुम्हारी बातों से इश्क़ करता हूं ।-
उस चेहरे पर लिखे कितने गीत कितनी कविताएं
फिर भी जब कभी देखता हूं नया ही लगता हैं ,
उस चेहरे को जितना पढ़ा हैं मैंने उतना ही बाकी हैं
मगर उदासी में ग़मगीन चेहरे को उसका दिख जाना ही काफ़ी है ,
आंखों से छुते हैं तुमको लोग तो भी डर सा लगता हैं
हाथों से कोई छु ले तो मन जल जल सा उठता हैं ,
जब तुम्हारी बात हो तो दिल सिर्फ शायरी ही करता हैं
तुमसे होकर गुजरे जो रास्ता उस पर हाज़िरी करता हैं ,
और इत्तेफाक ही मोहब्बत को अंजाम देता है
इश्क तुम्हें कुछ दे या ना दे लेकिन संजीदा कर देता है ,
मैंने भी क्या किया तुम्हें सिर्फ लफ्ज़ देकर रह गया
दुआ तो पड़ी मैंने लेकिन सजदा करना रह गया ।
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दूसरों के लिए अच्छा सोचना ,
अच्छा करना , और अच्छा होने देना
स्वयं के लिए बहुत अच्छा है ।
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हम व्हाट्सएप पर चैट करने वाले लोग ,
कभी नहीं जान पाएंगे ख़त में लिखें अल्फ़ाज़ो का
अहसास क्या होता हैं ,
हम जब चाहे तब कैफै पर जाने वाले लोग
कभी नहीं जान पाएंगे वो कई दिनों के इंतजार मैं छिपीं
अधीरता एक मुलाक़ात के लिए क्या होती है ,
हम महंगे महंगे गिफ्ट देकर भूल जाने वाले लोग
कभी नहीं जान पाएंगे वह प्रेम प्रतीक कृष्ण मूर्ति
उपहार देना और उसे सदा के लिए हृदय में सहेज लेना क्या होता है ,
और हम ही हर महीने हर वर्ष प्रेम बदलने वाले लोग
कभी नहीं जान पाएंगे किसी एक को दिया
ताउम्र साथ रहने का वचन क्या होता है !-
तुम्हें कुछ कहता हूं तो लगता हैं कुछ कहा ,
और कहीं कुछ कहना , तो शब्दों को ज़ाया करना लगता हैं !-
तुम्हारे चले जाने पर महसूस होता हैं ,
की जगत में सबसे प्रिय को भी
अपना नहीं कह सकते !-