अब भी हमारी जगह तो होगी
यक़ीनन हमारे साथ न होने की वजह तो होगी-
मेरी जिंदगी में अब
मेरी आरजु हो गई
इस जिंदगी को अब
तेरी आरजु हो गई
बेखुदी में गुजरती हैं, अब रातें मेरी
मेरे तनहा तनहा रातों को
तेरे जुल्फों की आरजु हो गई
और,
शराब जिसे चाहिए उसे दे दो
मेरे प्यासी प्यासी होंठो को अब
तेरे होंठो की आरजु हो गई-
आरजू थी एक तुम भी कुछ हाथ पैर चलाओ
मँहगाई बहुत है तुम भी तो कुछ बोझ उठाओ— % &-
.... तुम्हारी आरज़ू में दिल बेताब है..
ईन लम्हों में एक अधुरा सा ख्वाब है..
तम्मना है उस ख़्वाब को हकीक़त बनाने की,
लेकिन आजकल वक़्त ख़राब है..!!-
जो तेरा हाल है वहीं मेरा हाल है
एक ही आरज़ू एक ही ख्याल
सौ ठोकरे खा लेंगे तुझे पाने के लिए
ये मेरे दिल का ही नहीं
ये मेरी जिंदगी का भी सवाल है-
तुम्हारी आरज़ू में
पूरी हुई लिखने
की मेरी जुस्तजू
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तुमसें हुई गुफ़्तगू में
बहने लगे मेरी सोच
के बेशूमार पेहलु
जो मिलाई आरज़ू
तुम्हारी आरज़ू में
कभी नज़्म कभी ग़ज़ल
कभी लिखे तराने भी
कभी शायरी कभी कविता
बहुत लिखे गाने भी
मिली तारीफें बढ़ा हौसला
चार चाँद लगे मेरी
क़लम - ऐ - आबरु में
बेहने लगे मेरी सोच
के बेशुमार पहलु
जो मिली आरज़ू
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तुम्हारी आरज़ू में-
अब मैं चार माह की हुई, इंतज़ार है जब नौ की हो जाउंगी
खेलूंगी माँ की गोद में, झूमूंगी बाबा के प्यार में
सिमटी, सहमी, सिकुडी, मैं गर्भ में सोती रही,
दुनिया में आने के ख्वाब आँखों में संजोती रही
हूं अभी आधी अधूरी, कब बनूँगी बिटिया प्यारी
नन्ही गुड़िया कहकर वो मुझे पुकारेंगे
सोचकर मैं पुलकित होती, कितना मुझे दुलारेगे
पर मेरे बेटी होने का जब उन्हें पता चला
थोड़ी सी भी दया ना आयी, मुझे मिटाने का निर्णय कर लिया
पहले मेरा पैर काटा, फिर काटा हाथ
टुकड़े टुकड़े कर दिए मेरे, फिर ली राहत की सांस-
तुम्हारी आरज़ू में
भटकते फिर रहे हैं।।
कुछ पल ही सही तुम्हारी मोहब्बत के लिए
तरसते फिर रहे हैं ।।-
आरज़ू, ख़्वाहिश, तलब, कोशिश, क्यूँ करते हो,
इश्क करना है तो करें, मेहनत क्यूँ करते हो!-
चाहता हैं दिल तुझे कितना
कैसे ये इजहार हो
सजता रहे तू आंखो में इतना
हर पल तेरा दिदार हो
महकती हुयी इन सांसे में
इक सांस तो तेरी हो
आरजू में तमन्नाओं की
इक ख्वाब तो पूरा हो
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