मुझे इस जहां में किसी को दिखाने के लिए कुछ नहीं करना, मेरी चाहत बस ये है कि मेरा ईश्वर मुझे देखे, एक पल के लिए ही सही मुझपर नज़र पड़े उसकी। ये दुनिया अपनी नहीं लगती, ना यहां के प्राणी। लगता है बस कि किराये का मकान है, बोझ है मुझपर, जितना जल्दी हो सके उतार दूं। यहां के लोग मुझे अजीब बोलते है, पागल-घमंडी बोलते है। मैं नहीं जान सकी अब तक खुद को, ये नादान कैसे मुझे भी जान ले रहे है, क्या खुद को जान चुके ये लोग जो मुझे भी पहचान लिया?
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आरज़ू
(दिल-ए-आरज़ू)
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Bio can't define me.
Joined 11 April 2020
3 JUN AT 19:21
31 DEC 2024 AT 18:14
31 - 12- 2024
|| आज स्व मूल्यांकन भी करें ||
जब हम स्वयं के भीतर झांकेंगे तो पायेंगे कि दुनिया के सुधार से पहले हमें स्वयं के सुधार की आवश्यकता है।-
21 SEP 2022 AT 19:34
कभी अलग तुमसे हुए ही नहीं
लोग पूछते है.. कौन है ये?
मैं कहता हूँ मेरी आरज़ू
फिर पूछते है लोग...कैसी आरज़ू?
मैं ज्यादातर कहना चाहता हूँ..नहीं मालूम
फिर दिल से आवाज़ आती है....
पहली और आखिरी-
13 SEP 2022 AT 18:47
कि तुमको पढ़ना नहीं आता
तो हम पहले तुमको पढ़ना सिखाते ना
क्यों इतना सारा लिखते?
अब बताओ, कौन पढ़ेगा ये सब?-
13 SEP 2022 AT 18:34
क्या फर्क पड़ता है
कि हम क्या सोचते है,
फर्क पड़ता है
कि लोग क्या जानते है
कि हम क्या सोचते है-
4 SEP 2022 AT 20:15
मन, संकल्प और इरादे
मार्ग प्रशस्त कर देते हैं
नई स्फूर्ति, नया जोश
नव जीवन में भर देते हैं
कर्तव्य प्रेरणा व्यक्ति को
जब नित नयी सीख सिखाती है
तब स्वागत में उस कर्मवीर के
प्रकृति भी शीश झुकाती है-