QUOTES ON #आकर्षण

#आकर्षण quotes

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22 FEB 2021 AT 13:50

पहले लोग आपसे आकर्षित होंगे
फिर वो आपसे मिलना चाहेंगे
आपको जानना चाहेंगे
और जब धीरे धीरे जान लेंगे
तब उनका वही आकर्षण
जलन और नफ़रत में बदल जायेंगे

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जब प्रेम में लिपटी हुई तुम्हारी हंसी
पूर्ण सूर्योदय की प्रभा समान
तुम्हारे मुख पर बिखरते हुए
गुलाब की पंखुड़ियों जैसे
अधरों से व्यक्त होते शब्दों के साथ
एक सम्मोहनकारी ताल-मेल प्रस्तुत करते हुए
मुझसे किसी विद्धुत की
अतिवेग तरगों की भाँति आ मिलती हैं तो
मानो मेरा रक्त किसी पर्वत के
अभ्र-सी शीतलता को प्राप्त कर
मेरे हृदय व मस्तिष्क को
क्षण भर अचेत कर जाता है।
वही कहीं मैं प्रेम योगी,अकस्मात ही
शून्य को प्राप्त करता हूँ।
जिसके लिए अनेकानेक तपस्वी
अन्यान्य मार्ग से वर्षों तप लीन रहते हैं।
कितना सहज है ना
तुम्हारे प्रणय में
इस परम् व सुखद अवस्था की
क्षणिक अनुभूति को प्राप्त करना।

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महादेव तथ्य

जब जब मुझसे कोई शिव भक्त महाकाल प्रेमी मिलता है या नजर आता है तो मुझे अजीब सी खुशी होती है मुझे मेरे सामने महादेव होने का एहसास होता है मेरा आकर्षण और बढ़ जाता है!

हर हर महादेव !

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16 JUN 2020 AT 20:21

एक दूसरे पे जताते हो हक,ये तो बस एक शासन है,
इसे कहते हो प्यार तुम,ये तो बस एक आकर्षण है।

#रीड कैप्शन

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26 SEP 2019 AT 9:33

"प्रेम या आकर्षण?"
"प्रेम के प्रति आकर्षण।"

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21 JUL 2019 AT 1:46

अतिशय प्रेम की लालसा
सर्वदा आकृष्ट करती है
जानता है पतंगा
दीप की चाह में
निश्चित है
मिट जाएगा अस्तित्व
रोक नहीं पाता
स्वयं में उमड़ते
प्रेम की अभिव्यक्ति को
लिपटता है उसकी ऊष्मा से
आत्मसात् करने
वो स्नेह
जो अंकुरित हुआ है
दीप के जलने के साथ ही
जो क्षणभंगुर नहीं
वरन्
उसकी अंतिम सांस तक
उसके साथ बना रहता है....

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5 DEC 2020 AT 9:32

कुछ चीज़ें
अत्यधिक आकर्षक होती हैं,
और यही वज़ह काफ़ी है
उनसे दूर
रहने के लिए।

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27 APR 2021 AT 14:00

”बंध जाऊंगी तुम संग,
जन्म जन्मांतर के लिए,

रीति रिवाजों के कच्चे,
भावनाओं के कोमल और
प्रीत के अटूट धागों में,

अर्धांगिनी बन पदार्पण
करूंगी, तुम्हारें जीवन में,
वचन हैं सर्वांगिणी बन दिखाऊंगी!"

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16 OCT 2020 AT 13:49

नवयौवनी बाला
अधेड़ उम्र साजिंदे का
अपनी शर्तों पर शृंगार कर
उसे पा जाती है अपने अनुरुप
जकड़ लेती है इस तरह
अपने मोहपाश में
कि वो गिरा बैठता है आईना
...और फिर एक दिन
जब अंतिम पहर होता है
इस आकर्षण का
तो खुलता है एक नया आईना
चटक जाती है उसकी तरुणाई
और वो साजिन्दा
दूर जाने की फिराक में
चलता चला जाता है;
आज वो साजिन्दा आकाश है
तरुणी धरा, हम सब रोज निहारते हैं
वो आकर्षण... क्षितिज कहकर!

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1 JUN 2020 AT 16:07

तुम्हारा चेहरा आकर्षक तो है
मगर मुझे तुम्हारी कविताओं से प्रेम है

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