सुना है बहुत अमीर हो गये हो....
कितने में बेचा है? तुमने तुम्हारा सुकून।-
ग़रीबो के तन पर कपड़े नहीं,
होटो पर मुस्कान होती है,
वो जो कीमती जेवर कपड़े पहनते है, ना
उन को,
कहा हस ना है कहा नहीं,
उसकी लिए भी ट्रेनिंग लेनी पड़ती है,
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इक लम्हा भी मुहब्बत का नसीब ना हुआ कभी
और तुम कहते हो कि दिल के बहुत अमीर हैं हम!-
मेरी विरासत, कुछ पुराने अहसास .
मेरी वसीयत, ये चंद अल्फ़ाज़ .
मेरा वारिस, ये पैग़ाम ए मोहब्बत .
मेरा वजूद , यादों में तुम्हारी ज़िंदा .
मेरी अहसियत, ये तुम्हारी वाह वाही .
कैसे कह दू कि, यतीम हूं मैं .
फ़कीर ही सही, पर सबसे अमीर हूं मैं .-
यह आज कल का अमीर प्यार;
कि पहले तो हर वक्त उससे मिलने के
नए नए बहाने बनाते हो,
फिर उसे अपना बनाने के
हसीन सपने दिखाते हो,
फिर खुद को उसकी और
उसे अपनी जान बताते हो,
और जब जी भर जाए इन बातों से
तो उसे अपनी असली औकात दिखाते हो,
खुद को बेकसूर और उसको
कसूरवार ठहराते हो,
खुद की अस्मत को बचा कर
उसकी अस्मत पर तौह लगाते हो।-
तुम पूछते थे न कि अगर यूँ होता तो क्या होता।
सुन ले- ऐ ग़ालिब, आज तू होता तो बहुत रोता।
बड़े महलों के सामने इंसानी वजूद भी पड़ गया छोटा।
जहाँ वो अमीर प्लेट फेकता, वहीं मैं गरीब भूखा सोता।
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दौलत की अकड़ में सस्ते उपहार की पहचान कर लेना।
आज अपनी 'गरीब माँ' पर तुम थोड़ा एहसान कर देना।
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हुजूम फिर वहीं लगाया आज अमीर लोगों ने
जहां गरीबों के मरनें का शोक मनाया जाता है
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ग़रीबी दूर करने को एक सफ़ीर भेज देता
ओ मौला या फिर सबको अमीर भेज देता
इन्सान ख़ुद ख़ुशियों की तामीर कर सकता
कम-से-कम हाथों में ऐसी लकीर भेज देता-
अमीरों पर तो
मखमल के गद्दों का
असर नहीं होता है
हाँ गरीब है वो
जो फुटपाथ पर भी
बेफिक्र हो कर
सोता है-