🅹🆈🅾🆃🅸 🆂🅰🅷🆄   (𝓙𝔂𝓸𝓽𝓲 𝓢𝓪𝓱𝓾✿🇮🇳)
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Joined 20 June 2020


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Joined 20 June 2020

न जाने क्यों ये मन मेरा बड़ा विचलित सो रहा है
हर रोज इसमें एक नया डर विकसित हो रहा है
खुद को साबित करने का प्रयास तो निरंतर जारी है
पर न जाने कब आएगा वह दिन जब किस्मत भी
कहेगी मेरी की चल उठ अब तेरी बारी है....
की डिग्रियां भी अब मेरी मुझसे सवाल करती है
आखिर क्या रखा है इस सरकारी नौकरी में
कि तू दिन रात बस इस पर मरती है
क्या बताऊं मैं इन्हें कि ऐ सरकारी नौकरी
क्यों इतनी खास है री तू मेरे लिए..
दिन रात तो कुछ नहीं अपना खून पसीना भी
एक कर दूंगी मैं तेरे लिए....
क्यों इतराती है ऐ सरकारी नौकरी तू इतना
इतनी जल्दी तो कभी भी हार न मानूंगी मैं
और वादा है खुदसे इक दिन अपनी किस्मत
और मेहनत दोनों से तुझे पा लूंगी मैं...

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कि यादों में उसकी अश्क बहे तो बह जाए हजार
रोकर उन आंसुओं को बड़ी नरमी से पोछ लेती हूं मैं..!

कि यूं तो दरमियां हमारे दूरियां बड़ी है मगर
पर अक्सर उसे अपने करीब सोच लेती हूं मै...

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कि यादों में उसकी अश्क बहे तो बह जाए हजार
रोकर उन आंसुओं को बड़ी नरमी से पोछ लेती हूं मैं..!

कि यूं तो दरमियां हमारे दूरियां बड़ी है मगर
पर अक्सर उसे अपने आसपास ही सोच लेती हूं मै

मन में सोंचू उसके बारे में कुछ बुरा
उससे पहले ही खुद को रोक लेती हूं मैं..!

अपनी तसव्वुर में उसे बसा रखा है मैंने
वह कहे तो आज ही उसे छोड़ देती हूं मैं..!

पर याद ये भी रहे न देखती हूं वापस मुड़कर कभी
इक बार जिससे अपना रिश्ता तोड़ लेती हूं मैं..!

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कि यादों में उसकी अश्क बहे तो बह जाए हजार
रोकर उन आंसुओं को बड़ी नरमी से पोछ लेती हूं मैं..!

कि यूं तो दरमियां हमारे दूरियां बड़ी है मगर
पर अक्सर उसे अपने आसपास ही सोच लेती हूं मै

मन में सोंचू उसके बारे में कुछ बुरा
उससे पहले ही खुद को रोक लेती हूं मैं..!

अपनी तसव्वुर में उसे बसा रखा है मैंने
वह कहे तो आज ही उसे छोड़ देती हूं मैं..!

पर याद ये भी रहे न देखती हूं वापस मुड़कर कभी
इक बार जिससे अपना रिश्ता तोड़ लेती हूं मैं..!

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दिल ना आए किसी की बातों में
इसका खासा ख्याल रखती हूं मैं
कई बार सोचने के बाद भी मन में
एक छोटा सा सवाल रखती हूं मैं...!!

की वो मिले कभी तो बताऊं उसे
आखिर क्या क्या सहेज रखा है मैंने
उसे बताने के लिए बरसों से बना
यादों का जाल रखती हूं मैं.....!!

कि ये दिल भी न जाने क्यों
अब करने लगा है अवहेलना मेरी
पर ये बेखबर है कि इसको मनाने की भी
एक छोटी सी चाल रखती हूं मैं...!!

जब भी बह जाते हैं आंसू मेरे
यूं ही लिखते वक्त डायरी के पन्नो पर
उन आंसुओं को पोछने के लिए
आज भी उसका दिया हुआ रूमाल रखती हूं मैं

मयस्सर नही ये दिल मेरा अब
किसी भी गैर की खातिर
आज भी इस दिल में उससे न
मिल पाने का एक मलाल रखती हूं मैं...

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वो अक्सर मुझसे पूछते हैं
मैं न मिला गर तुम्हें
तो रह लोगी न तुम मेरे बगैर...

जवाब थोड़ा मुश्किल है कि
जिस पल तू किसी गैर को अपनाएगा,
तेरे रिश्तों में से एक रिश्ता
उसी पल टूट जायेगा...!

मेरी कहानी का इक किस्सा भी
अब तेरे हिस्से न आएगा
तेरे खुद के बनाए रिश्ते से
तू आजाद हो जायेगा..!

परवाह न करना तुम मेरी जरा भी
तेरे बाद ये दिल किसी गैर पर न आयेगा
क्योंकि पता है मुझे कि तेरे जाने के बाद भी
मेरा नाम सदा तेरे ही नाम से जोड़ा जायेगा...!






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उसके वो दर्द जो उसके घर वालों ने भी नही देखे
मैंने उसे वो दर्द सहते हुए देखा है..!!

हंसते हुए तो पूरी दुनिया ने देखा है उसे
मैने उसे एकांत में रोते हुए देखा है..!!

पूरी दुनिया के लिए किसी चीज की कमी नहीं उसके पास
मैने उसे आज भी अपनों के कर्ज ढोते हुए देखा है..!!

कहता नही वो किसी से अपने मन की बात,
मैनें उसे अंदर ही अंदर घुटते हुए देखा है..!!

आखिर क्यों नही समझते उसके ही लोग उसे
उसे अपनों के लिए दिन रात मरते हुए देखा है..!!

क्यों न बोलूं मैं उसकी खातिर आखिर
अपने लिए उसे अपनों से लड़ते हुए देखा है...!!


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नादान नही है दिल ये मेरा
लेकिन नादानियां पसंद हैं इसे...!

यूं बेवजह हंसना गलत है मगर
कभी२ बेवजह भी हंसना पसंद है इसे...!

रुठे भला कोई कितना भी इससे
पर हर बार मनाना पसंद है इसे...!

अपने दुख ये किसी को सुनाता नही
पर उन्हें पन्नो पर लिखना पसंद है इसे...!

वैसे पूरी तरह भरते नही जख्म कभी दिल के
पर अपने जख्मों को पन्नो पर भरना पसंद है इसे...!

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न जाने क्यों हर छोटी-छोटी बात पर अक्सर
अब भर आती है ये आंखें मेरी...

कितना भी संभालू मैं खुद को पर अंत में
रो ही पड़ती है ये आंखें मेरी...

कोई सुन ना ले मुझे रोते हुए इसलिए घर के किसी
कोने में सिसक कर रह जाती है ये सांसे मेरी..

बातों को मक्खन लगाकर पेश करने की आदत नही
इसलिए अक्सर तीखी लग जाती है लोगों को बातें मेरी..

यूं तो किसी भी तरह गुजर ही जाता है दिन मेरा
पर अक्सर लंबी पड़ जाती है रातें मेरी....

यह कोई इश्क में टूटे हुए दिल की दास्तान नहीं लिखी मैंने
यहां लिखी हैं कुछ अनकही अनसुनी बातें मेरी...

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कभी जिसके सुबह की शुरुआत मेरी पहली कॉल से हुआ करती थी
आज पूरा दिन बीत जाता है पर फोन पर बात नहीं होती..

पहले घंटों बात होने पर भी जिसका जी नहीं भरता था
आज 2 मिनट भी अच्छे से हमारी बात नहीं होती..

पहले काम के वक्त भी हमारी बात हो जाती थी
और अब काम न होने पर भी बात नहीं होती...

पहले जिनको हमें देखे बिना नींद नहीं आती थी,
अब तो उन्हें नींद में भी हमारी याद नहीं आती...

कि अब तो यह रिश्ता जैसे सुबह की गुड मॉर्निंग
और रात की गुड नाइट में ही सीमित हो गया है...

वह शख्स जिसके हृदय के शायद सबसे करीब थी मैं
वह शख्स न जाने अब कहां खो गया है??

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