ईश्वर ने प्रकृति को इसलिए बनाया होगा जिसे मनुष्य देखकर
जी सके "स्वार्थहीन प्रेम" के "क्षितिज" कि "प्रकाष्ठा" को,
यकीन हो सके मनुष्य को बिना "अपेक्षा" के
"स्वतंत्र प्रेम पर"...!!!!!
(:--स्तुति)-
हृदय के चारों कोष
अस्नेह की बारिश में
भर गए.....
धीरे-धीरे अपेक्षाओं की
काली कीट की काई पनपने लगी,,
बाबला बाल मन मेरी कविता का
ओह!!
पैर छपछपाने की,
आनंद दशा में.....खो गया
फिसला.... मोच की चपेट में,,,
वेदना ने भेद दे ही दिया
कि....
आखिर तन,मन की काई
ने अपाहिज बना ही दिया,,
और...औषध "स्वावलम्बन"
हल्दी चूने के सम्मिश्रण सा!!
4.9.2020-
याद है मुझे वो पहली मुलाकात
हसीन मौसम था थे तुम कुछ खास
रूप तेरा आंखों को भाया था
नज़रो के रस्ते दिल मे समाया था
निगाहो से निगाहों ने बात कर ली
दिल धड़का मोहब्बत ने शुरुआत कर ली
रफ्ता रफ्ता फूल खिलने लगे
हम तुम्हें तुम हमे रोज मिलने लगे
मोहब्बत का गीत अभी गाया ही था
रिवाजों ने दरवाजा फौरन खटखटाया था
ऐसा नही की हममे दम न था
पर दुनिया के आगे हौसला कम था
दोनो ही हम मजबूर हो गए
दर्द की बस्ती में गुम हो गए
कसूर न तेरा था न मेरा था
क्या कहे संजय वहाँ रिवाजों का बसेरा था
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Expectation ने मुझे हर किसी से तोड़ा
Thankyou तो मैं जरूरत का करूँगी
जिसने मुझे जुड़ना सिखाया।💜🙏
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पापा! धरती पर नही आने का मेरे इंतज़ाम कर आए है,
जब से जाना है गर्भ में कन्याभ्रूण है,
मेरे जीवन का डाक्टर से हिसाब कर आयें है।-
tujhse milne ki khuda se kabhi koi dua to nahi mangi thi mene,
par na Jane kyun ab tum mil gai ho to har dua me tujhe mangta hun me.-
जिसमें बहती प्रेम की धारा
द्वेष को जिसने
पतवार बनाया
वो ही रिश्तों से हारा.-
बीते हुए कल से शिकायत नही
आने वाले कल से तवक़्को नही
चौखट पर रखा दीपक हूँ कहीं
ना तो बाहर हूँ ना अन्दर ही कहीं-
अपेक्षा करावी आईकडून
सदैव आशीर्वाद देणारी...
अपेक्षा करावी बाबांकडून
सदैव प्रोत्साहन देणारी...
अपेक्षा करावी बहिणीकडून
प्रत्येक कामास शुभेच्छा देणारी...
अपेक्षा करावी मोठ्या भावाकडून
सदैव मार्गदर्शन करणारी...
अपेक्षा करावी बायकोकडून
आयुष्याच्या शेवटच्या क्षणापर्यंत साथ देणारी...
अपेक्षा करावी मुलांकडून
म्हातारपणी वृद्धाश्रमात न ठेवणारी...
अपेक्षा करावी जीवनाकडून
सदैव ध्येयापर्यंत नेणारी...
शेवटी अपेक्षा करावी स्वतःकडून
सदैव प्रोत्साहनात्मक प्रेरणा देणारी...
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