कैसे जानूँ मैं अज्ञानी
प्रभु तेरे न्याय की वाणी,
सुख दुःख के पालने
में झूलता
कटती रही ये ज़िंदगामी
कैसे जानूँ मैं अज्ञानी।
दृष्टिहीन मैं देखूँ कैसे
तेरे स्नेह की अनुपम माया,
निज जाल में उलझा हरदम
पहचान सका न तेरी काया
प्रभु ठहरा मैं अज्ञानी।
क्षमा करो ओ सर्वज्ञानी
भूल हुई जो हमसे सारी,
करुणा कर हे अंतर्यामी
सब के रक्षक जटाधारी
प्रभु ठहरी मैं अज्ञानी।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं-
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कितना अच्छा होता
गर हर कोई समझता
अपनी जिम्मेदारी
काटने के बदले
पौधा लगाते ढेर सारी।-
I don't feel alone,
because my thoughts
always alert me to awake
still there is a lot to do
to improve my writing goal.-
शाम होते ही
पसरा सन्नाटा अज़ीब
लौट रहें पंख पखेरू
सूरज से लगा होड़।
प्रकोप हो अंधेरे का
उससे पहले पहुँचना घर,
कुशल मंगल हो सब कुछ
प्रार्थना करते मन ही मन।-
ज़िंदगी मेरे पास आ
क्यों डरवाती दूर से,
परीक्षा देते- देते अब
थक गया बैचैन मन
कभी तो परिश्रम का
प्रतिफल बता हँसा
थोड़ा मुझे
जीना है फिर आहे क्यों
दे हिम्मत चुनौती से लड़ने को।-
The woods were lovely
with peeping sun
from the remote corner of
several boughs,
but the cozy bed is calling me
to come and sleep in a relaxing mood.-
When I valued time
I felt it was a precious
gift of the divine,
helps us to move systematically
to get our goal determined.-
हालात से मजबूर हैं
सोच न छोड़ना प्रयास कभी,
सामना कर उन परिस्थियों का
निखर बन सुंदर फूल।-
मन तू थोड़ा धीरज रख
समय से पहले न होता कुछ भी,
चाहे कितना भी लगा ले जोर,
करता जा तू कार्य हरदम
फल मिलेगा जरूर
विश्वास रख स्वयं पर
क्यों होता इतना अधीर!-