Tulika Prasad   (Tulika Prasad)
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Joined 11 December 2018


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Joined 11 December 2018
26 FEB AT 8:05

कैसे जानूँ मैं अज्ञानी
प्रभु तेरे न्याय की वाणी,
सुख दुःख के पालने
में झूलता
कटती रही ये ज़िंदगामी
कैसे जानूँ मैं अज्ञानी।
दृष्टिहीन मैं देखूँ कैसे
तेरे स्नेह की अनुपम माया,
निज जाल में उलझा हरदम
पहचान सका न तेरी काया
प्रभु ठहरा मैं अज्ञानी।
क्षमा करो ओ सर्वज्ञानी
भूल हुई जो हमसे सारी,
करुणा कर हे अंतर्यामी
सब के रक्षक जटाधारी
प्रभु ठहरी मैं अज्ञानी।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

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25 JAN AT 14:47

कितना अच्छा होता
गर हर कोई समझता
अपनी जिम्मेदारी
काटने के बदले
पौधा लगाते ढेर सारी।

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25 JAN AT 7:14

I don't feel alone,
because my thoughts
always alert me to awake
still there is a lot to do
to improve my writing goal.

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23 JAN AT 22:15

रात अंधेरी
है खोजता आश्रय
बैचैन मन

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23 JAN AT 22:05

शाम होते ही
पसरा सन्नाटा अज़ीब
लौट रहें पंख पखेरू
सूरज से लगा होड़।
प्रकोप हो अंधेरे का
उससे पहले पहुँचना घर,
कुशल मंगल हो सब कुछ
प्रार्थना करते मन ही मन।

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23 JAN AT 21:46

ज़िंदगी मेरे पास आ
क्यों डरवाती दूर से,
परीक्षा देते- देते अब
थक गया बैचैन मन
कभी तो परिश्रम का
प्रतिफल बता हँसा
थोड़ा मुझे
जीना है फिर आहे क्यों
दे हिम्मत चुनौती से लड़ने को।

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23 JAN AT 21:39

The woods were lovely
with peeping sun
from the remote corner of
several boughs,
but the cozy bed is calling me
to come and sleep in a relaxing mood.

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23 JAN AT 8:47

When I valued time
I felt it was a precious
gift of the divine,
helps us to move systematically
to get our goal determined.

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23 JAN AT 8:43

हालात से मजबूर हैं
सोच न छोड़ना प्रयास कभी,
सामना कर उन परिस्थियों का
निखर बन सुंदर फूल।

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23 JAN AT 8:23

मन तू थोड़ा धीरज रख
समय से पहले न होता कुछ भी,
चाहे कितना भी लगा ले जोर,
करता जा तू कार्य हरदम
फल मिलेगा जरूर
विश्वास रख स्वयं पर
क्यों होता इतना अधीर!

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