बिछड़ना अक्सर होता दुःखद पर कई बार लाता अनुभव सुखद। मिलना बिछड़ना है जीवन का सत्य कभी अच्छा कभी बुरा देता फल, भविष्य की सोच न शोक मना आने वाली चुनौतियों का कर सामना।
तुमको प्रणाम है शिक्षक मेरे कितने रूप धर घेरे हमें, कभी माँ तो कभी पिता बन, कभी भाई बहन के प्रेम में, सजीव हो या निर्जीव हो रहते प्रकृति के कण कण में, सिखाते हरदम हमें जीना है कैसे जग में । शत शत नमन है तुझे जिसने आलोकित किया जीवन पथ को।
उसे जाने दिया मैं ने मंज़िल की तलाश में, भावनाओं से परे भी एक खुला आकाश है, पंख फैला उड़ सके जहाँ चमके सूरज के प्रकाश से, मन भारी था फिर भी हाथ उठे आशीष के।
ज़िंदगी गुज़र रही थी समस्याओं के दौर से, हल मिलता एक का तो दूसरी हो जाती खड़ी। निराशा के घने बादल जब सूझता न राह कोई; तभी रौशनी की एक किरण लग गई हाथ सखी! मानो किसी फरिश्ते ने सुनली फ़रियाद मेरी; अरसों बाद बजी शहनाई मेरे घर सखी! खुशियों से आह्लादित मन ख़ुद विस्मित हो गया जब अश्क निकल गया आँखों से निरन्तर बहता रहा।