"अंतिम निर्णय"
कैप्शन में पढ़े, पूरी गाथा!-
साल का आखिरी महीना,
इश्क़ का आखिरी पड़ाव,
क़िताब का आखिरी पन्ना,
जीवन के अंतिम दिन।
फ़िर सब कुछ बदल जायेगा
नये क़िरदार, नयी कहानियाँ।-
अंतिम यात्रा
किसी शायर ने अंतिम यात्रा
का क्या खूब वर्णन किया है.....
था मैं नींद में और मुझे इतना
सजाया जा रहा था बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा था....
ना जाने था वो कौन सा
अजब खेल मेरे घर में....
बच्चो की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जा रहा था...
था पास मेरा हर अपना उस वक़्त....
फिर भी मैं हर किसी के मन से
भुलाया जा रहा था...
जो कभी देखते भी न थे
मोहब्बत की निगाहों से....
उनके दिल से भी प्यार मुझ
पर लुटाया जा रहा था...
मालूम नही क्यों हैरान था हर कोई मुझे
सोते हुए देख कर....
जोर-जोर से रोकर मुझे
जगाया जा रहा था...काँप उठी
मेरी रूह वो मंज़र देख कर....
जहाँ मुझे हमेशा केलिए
सुलाया जा रहा था....
मोहब्बत की इन्तहा थी
जिन दिलों में मेरे लिए....
उन्हीं दिलों के हाथों,
आज मैं जलाया जा रहा था!!!
इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।
"और कितना वक़्त लगेगा"
-
तुमने जरा सा देर कर दी आने में,
अब नहीं बची है शराब पैमाने में।
जमाना मरने की खबरें पूछता रहा,
हर पल मेरी सांस तुम्हे बुझती रही।
खैर कोई बात नहीं,अगर सच में
आ गई हो तो ठहरो कुछ पल।
निश्चय ही अगले जन्म में बनूंगा,
तुम्हारा आने वाला कल।-
कौन रोक पाया हैं, जाने वालों को,
वो चले ही जाते, पर उनकी
ख़ामोशी बहुत कुछ
कह जाती
हैं!
तोड़ कर जाते वो सारे रिश्तें स्नेह के,
फ़िर भी दिलों में उनसे जुड़ी
ख्वाहिशें अधूरी सी
रह जाती
हैं!-
दो बातें हो सकती हैं, या तो हम सफल होंगे या फिर असफल।
लेकिन अपने हिस्से की मेहनत, जुझारूपन से घबराना क्या।
कोई भी काम बड़ा या छोटा या इज्ज़त वाला नहीं होता।
जो क़िरदार मिला है करने, उसे करने में फिर शर्माना क्या।
दो बातें हो सकती हैं या तो वो हमें मिलेगा या नहीं मिलेगा।
लेकिन उसको दिल खोलकर मोहब्बत करने में कतराना क्या।
जो वो सच्चा प्यार होगा तो सब जानता होगा हमारे बारे में।
उसे बार-बार जाकर के अपने दिल के हालात बतलाना क्या।
दो बातें हो सकती हैं या तो हमारा नाम होगा या हम गुमनाम
पर आख़िरी बाज़ी खेले बिना ही हारकर हार मान जाना क्या।
इसे बस ज़िंदगी समझकर जो जीते हैं तो ग़लती करते हो तुम।
ये खेल है जिसका नाम ज़िंदगी है बिन मुकाबला हारना क्या।
दो बातें हो सकती हैं या तो तुम्हारे पास बहुत पैसा होगा या शून्य।
जिस भी स्थिति में रहो दूसरों की भलाई से पीछे हट जाना क्या।
किसने कहा कि केवल धन से ही लोगों की भलाई होती हैं "अभि"।
पहुँच, पहचान, ज्ञान, बल, बुद्धि है तो मदद करो, इसमें सोचना क्या।-