Tarun Srivastava   (Tarun Srivastava)
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Joined 16 September 2019


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Joined 16 September 2019
29 OCT 2022 AT 20:26

मोहब्बत थी इसलिए बदनाम होने का डर है,
वरना लोग हमें भी व्यंगकार कहते है।

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29 OCT 2022 AT 20:23

नाम बताते उनका भी,
डर है कही वो बदनाम न हो जाए।

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29 OCT 2022 AT 20:20

जान जान कहकर जान ले ली,
वो जान भी बेजान कर गई।

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29 OCT 2022 AT 20:07

रूठोगे गर तुम, हम तुम्हें मनायेगें
यह आदत तुम्हारी है और ये मेरी।

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29 OCT 2022 AT 20:00

दर्द कितना है ये कैसे कह देते!
तुम मेरी हो,
खुद ही समझ जाएगी यह सोच रुक जाता हूं।

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29 OCT 2022 AT 19:59

दीवाना हो गया हूं तुम्हारी जुल्फों की छांव का,
तुम नयनों में बसा लो, हम पागल ही हो जायेंगे।

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29 OCT 2022 AT 17:46

याद तुम्हें करके
हर दर्द भूल जाता था मैं,
मिलन की आस में
हर गम भूल जाता है मैं,

मदहोश तो था तबसे मैं
जब तुमसे मिला था पहली बार
सुनकर पायल की आवाज
अपनी गली भूल जाता था मैं।

अब मैं किस से मिलूंगा,
क्या मैं यादों में ही जी लूंगा,
तुम छोड़ गई दुनिया इतनी जल्दी क्यों,
तुम बिन क्या जी पाऊंगा मैं।

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26 OCT 2022 AT 21:29

इश्क की बात में भी
"कितना" की बात करने लगी,
सच में मुहासिब हो गई हो,
मेरे प्यार का।

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24 OCT 2022 AT 9:16

फैले रोशनी नाश हो तम का, आओ दुआ करे,
हम भी खुश रहे, तुम भी खुश रहो।
जग को मिले सहारा, कोई न रहे बेसहारा रहे;
तुम हमारा सहारा रहो, हम तुम्हारा सहारा रहे।

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22 OCT 2022 AT 22:52

वजह बताते थे सबकी गद्दारी का,
हर बात बताते थे दुनियादारी का,
फिर भी हमको तुमसा गद्दार मिला,
मारे पीठ पर खंजर ऐसा यार मिला।

हम भी वो सब कह सकते है, जो तुम कहते हो,
जड़ काटकर पेड़ की, जल उसमें फिर भरते हो,
फिर भी हमने तुम जैसे को पाला है,
वो परवरिश तुम्हारी थी, हम ने सिर्फ मानवता को संभाला है।

तुम बड़े होकर भी, बहुत दिल के छोटे हो,
हो कितने भी पढ़े लिखे मगर दिल के खोटे हो,
फिर भी हम ने तुम्हारी हर बात मानी है,
तुम को लगता है हम कितने नादानी है।

ध्यान रहे प्रिय हम ने तुमको, हर मौक़े पर मौके दिए
सुधारों गलती अपनी, हर बार माफ़ी मांग लिए,
फिर भी तुमने हर बार खुद को शर्मशार किया,
मेरे दोस्ती को तुमने हर बार दागदार किया।

हो सके तो एक बात आखिरी मान लेना,
कर्म से ही होती है इंसान की पहचान ये जान लेना।

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