"तमन्ना_ए_दिल"
तमन्ना_ए_दिल कि मुझे इक मकाम मिल जाए
तेरे मोहल्ले में मुझे एक मकान मिल जाए
जैसे तकते है तुझे मुसाफिर इस मोहल्ले के
मुझे भी तेरे दीदार का एक जाम मिल जाए
कई सदियां गुजरी है तेरा दीदार पाने के वास्ते
तेरे दीदार का मुझे दिलकश इख्तियार मिल जाए
बड़ी शिद्दत से बेखबर तेरा इंतजार किया है मैंने
तेरी हजूरी का दिलनशी एक पैगाम मिल जाए
ये वादियां ये घटाएं ये हवाएं और ये फिजा
तेरी आहट का मखमली एक एहसास मिल जाए
कुछ सवालों का टोला इस दिल में उठा है
तेरी मंजूरी का मुझे एक कबूल नामा मिल जाए
-
ईश्वर,
जिसे पाना चाहती हैं कुछ स्त्रियां,
उसकी कोशिश में ,
रोपती है "कलम"
सींचती है अपनी आयु से।
बुनती है,
शब्दों के स्तवक,
अपनाती है सादगी,
और लिखती है,
अपने भाव को अद्भुत शब्दों से,
वे शब्द,
जो साहित्य में बस सड़ते हैं,
आम भाषा मे नही होते,
इन शब्दों से सजी ,
रचनाओं को समझने के लिये,
पहले समझना होगा तुम्हे,
ईश्वर और उनके बीच के प्रेम को,
और करना होगा त्याग,
जो सबसे नही होता।-
एक अंजलि धूप छुपा रखी है,दिल के किसी कोने में।
उम्मीद है हम मिलेंगे कभी, खिलखिलाने के लिए।-
जो मैं चाहूँ वो पूरा होगा ।
कुछ ख्वाहिशे अब भी बाकी है,
मुक्कमल हो जाये तो क्या
गुनाह होगा ।
-
तुम्हारे शहर की सारी जगहों पर घुम आया,
तुम जहा जहा गए वो आबोहवा चुम आया।-
बेचैनियों में अपनी,
हम ढुंढते रहे तुम्हें सितारों में ❣️
पलकों से लिखते रहे
तेरा नाम चांद पे रात भर❣️-
जो ख्वाहिश हो दिल की
वो बेशक मिले तुझे
न गम मिले कभी
बस खुशी मिले तुझे
पूरे हो अरमान सारे
दिल के तुम्हारे
हमनशीं तुझको
दिलकशीं मिले तुझे-