दिल की हालत हैं कैसी आ तुझे मैं बताऊं, धड़कनों की सदाएं आ तुझे मैं सुनाऊं , की यूं बेवजह ना खफा हो मेरे हमनाशी, तोड़ के दिल के टुकड़े आ तुझे मैं दिखाऊं,
दरम्यान मेरे दिल के क्यूं नहीं आते, रूबरू इन सांसों से क्यूं नहीं कराते , कमबख्त फांसला जो दरम्यान बेवजह हैं, कश्मकश उलझन इस दिल की क्यूं नहीं सुलझाते,