चेहरे से दिल का जबसे पता चल रहा है
आइने को वो सबसे खूबसूरत लग रहा है
चेहरे तो बदल जाते है वक्त के साथ
चेहरा तो बेवजह ही लोगो को छल रहा है
जबसे हुई मुलाकात रूह की रूह से
चेहरे की खूबसूरती का सारा भरम निकल रहा है-
मिलने तुझसे पहली बार आया हूँ में
तेरी एक झलक के लिए बेकरार आया हूँ में
दूर की मुलाकातों ने जी नहीं भरता
तुझसे कभी न जुदा होने के लिए आया हूँ में
आगे का सफर अब तेरे साथ ही होगा
सब कुछ पीछे छोड़कर तेरे लिए आया हूँ में
इन खाली हाथों में थामना है तेरा हाथ
ये दिल तेरा था तुझको ही देने आया हूँ में
बहुत हुई दुनियादारी अब और नहीं
तेरे साथ ये जिंदगी अब जीने आया हूँ में-
कितना भी लिखूँ पन्ना दिल का भरता ही नहीं
ये रूह का बंधन है कभी मरता ही नहीं
एक बार होती हैं मोहब्बत बार बार होती नहीं
तेरा चेहरा आँखो से सरकता ही नहीं-
जब तक न तेरा सलाम हो सबेरा कहाँ होगा
ये सूरज न जाने किस जहाँ होगा
देखूँगा तेरी आँखों से मैं सुबह की भोर
तू जिस ज़मीं पर पाँव रखेगी मेरा उजाला वहां होगा
देर हो सकती है अंधेर नहीं होगी
मुझे यकीन है एक दिन तू मेरा जरूर होगा
करूंगा तेरी इबादत खुदा से ज्यादा में
तू मेरे पास आने को एक दिन मजबूर होगा
Good Morning !!
Care and Take Care !!-
समझा है जिसने दर्द बिना कहे जुबां से
मिलता है हमदर्द जब रहम होता है खुदा से-
उसकी जेबाई पर सारी अदाएं फबती है
हर रंग की छटाए उस पर जँचती है
सभी तो है उसके मुरीद यहां
चांद चांदनी रागिनी सब उसकी बाते करती है
उसके नूर पर जो तिल है उसे कातिल कहता हूँ
उसकी अदाकारी पर सारी दुनियां मरती है
देखने वाले देखते रह जाते है
जब सज संवरकर वो घर से निकलती है
हार जाते है सब अपना दिल उस पर
जब वो प्यार से आहे भरती है-
छूकर उसने प्यार से
भिगो दिया अंतर्मन
अपना बना के उसने कर दिया
जिंदगी को मुक्कमल-
निकलता है मेरा सूरज जब होता है तेरा इशारा
सूरज भी जानता है तेरे जैसा नहीं कोई प्यारा
तुम्हारे आने के बाद शुरू होता है दिन
नहीं तो रहता है ये दिल बेसहारा
कितनी की तेरी इबादत जानता है खुदा मेरा
मै जीता नहीं कभी तुझसे हमेशा ही हारा
तुम आओ तो बुन लूँ कुछ खुशियां दामन में
तेरे बगैर तू क्या जाने कैसे होता है गुजारा-
हम तुम्हारे है ये बात आम हुई
जबसे तुझसे मोहब्बत सरेआम हुई
पहले सलाम से आखिरी अंजाम तक
जैसे तू ही मेरी सुबह शाम हुई
इस तरह से हो गए हम तुम्हारे
लगता है ये सांसे तेरी ही गुलाम हुई
हमने भी छुपाना छोड़ दिया जमाने से
मोहब्बत इबादत है कब ये गुनहगार हुई
लिखता हूँ तुझ पर समझते है लोग सारे
तू मेरे हर शब्द में अब शुमार हुई
चलता रहे ये रिश्ता सारी उम्र यूँ ही
जिंदगी एक मर्तबा मिलती है कब ये बार बार हुई-