QUOTES ON #ज़िंदगानी

#ज़िंदगानी quotes

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18 AUG 2019 AT 0:47

बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे
मेरी ज़िंदगी तुम्हारी ही अमानत है
चाहो तो रखलो हीरा बना कर तिजोरी में
चाहे तो फेंक दो पत्थर समझ समुन्दर में
कैसे बयाँ करूं तुम्हे शब्दों के रूप में
जो आज कम पड़ गए ।।
माना तो माना है खुदा तुम्हें अपनी
ज़िंदगानी में।।।


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14 APR 2019 AT 10:57

नहीं बची पहली-सी जगह अब मेरी, ज़िंदगानी और दिल में 'उनके'
प्यार की ज़मीन जो सरकने लगी, दिल भी जगह से सरकने लगा है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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3 AUG 2019 AT 21:40

पुरानी तस्वीरें कभी, पुरानी नहीं होती
जो उन्हें देख बहे आँखों से, वो बूँदे पानी नहीं होती

बीती ज़िंदगानी का एक, अदद हिस्सा हैं वो
पुरानी तस्वीरें महज, 'याद-दहानी' नहीं होती

- साकेत गर्ग 'सागा'

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24 JUN 2017 AT 2:43

अहसास भी उसी से मिले
जिससे हैं यह घाव मिले
कैसे करूँ शिक़वे..
कैसे करूँ मैं उससे गिले

उसी ने तो इश्क़ का मतलब, था सिखलाया
बनके महताब..
मेरी स्याह काली रात को, था चमकाया
आज अगर वो बेवफ़ा हो गयी तो क्या
वफ़ा का पाठ भी तो, उसी ने था पढ़ाया
बस अब इतनी सी है दुआ
मेरी सुन ले वो इतनी सी इल्तिज़ा
अपना दामन वो, और नापाक ना होने दे
अब किसी और को, उसे बेवफ़ा ना कहने दे
जो हमराह उसने अब चुना है
वो उसी का सानी रहे,
उसी से शुरू, उसी पर ख़त्म
उसकी ज़िंदगानी रहे
- साकेत गर्ग

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7 JUN 2017 AT 21:58

टप टप नल से टपकता है पानी जैसे ..
बीती जा रही ये ज़िंदगानी है..
कुछ हँस लो कुछ प्यार से बोलो..
जीवन रिसता पानी है...
👦👦👦👦👦👦👦👦👦👦
एक बेटा मैने लाड से पाला ममता खूब लुटाई थी
शादी हो गयी न्यारा हो गया ममता काम न आनी है
कुछ हँस लो कुछ प्यार से बोलो
जीवन रिसता पानी है...
👧👧👧👧👧👧👧👧👧👧
एक बेटी मैने नाज से पाली कितने लाड लड़ाए थे
आए जवाँई हुई पराई.. बेटी काम न आनी है
कुछ हँस लो कुछ प्यार से बोलो
जीवन रिसता पानी है
💅🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
ये काया मैने मल मल धोयी चंदन तेल लगाए थे
उड़ गया हंसा जल गयी काया,काया काम न आनी है
कुछ हँस लो कुछ प्यार से बोलो
जीवन रिसता पानी है

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16 AUG 2019 AT 14:23

रुठे हुओं को मनाएँ चलो
प्यारे ये रिश्ते बचाएँ चलो
दो पल की है जिंदगानी सुनो
हँस के ये 'दो पल' बिताएँ चलो!

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1 JUN 2020 AT 11:52

वो मेरे सजदे में सिर झुकाता है, मैं उसके पाँव चूम लेती हूँ
वो कुछ उस तरह वफ़ा करता है, मैं कुछ इस तरह सिला देती हूँ

वो झलकता है मेरी हर अदा में, मैं उसकी आँखों में दिखती हूँ
वो मेरे सारे अल्फाजों में है, मैं उसकी हर बात में रहती हूँ

वो मेरे गेसुओं को संवारता है, मैं उसके बाल सहलाती हूँ
वो मुस्कुराता है मुझे सँवरता देख, मैं उसे देखते हुए शरमाती हूँ

वो ठीक करता है मेरी साड़ी का पल्लू, मैं उसकी शर्ट में बटन लगाती हूँ
वो मेरे लिए चाय प्यार से बनाता है, मैं खाना उसके लिए मगन बनाती हूँ

मैंने पहन ली उसकी दी हुई पायल, उसने मेरा गुलाब रख लिया
उसने सारी ज़िंदगानी मेरे नाम करदी, मैंने उसको अपनी मौत पे हक़ दिया

~शिवानी पाण्डेय



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20 JUL 2018 AT 14:40

ज़िंदगानी चार रोज़ की है तो क्या,
हमारे अल्फ़ाज़ तुम्हे कयामत के रोज़ भी मिलेंगे...!

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17 JUL 2021 AT 12:05

जिंदगी फकत क्या सिर्फ जीना हैं?
सांस लेना है सीने में दिल धड़कना हैं?
गम की चादर ओढ़े फिरता रहता हूं ,
उसकी शमा में बस जलता रहता हूं ।।
अब सारी ख्वाइशों को कफन पहना दी,
जिस्त ए रंजिशो में गश्त करता रहता हूं।।
एक शाम सूरज के साथ डूबना चाहता हूं,
गले लगा के खुद ही में खोना चाहता हूं।।

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18 JUL 2021 AT 9:46

चमकते अंधेरों में लिपटे रहे ताउम्र,
अरसा बीत गया ख्वाहिशों में,
शाम तो कब की ढ़ल चुकी थी,
हम तो इंतज़ार में थे जुगनुओं की बारिशों के।

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