वो मेरे सजदे में सिर झुकाता है, मैं उसके पाँव चूम लेती हूँ
वो कुछ उस तरह वफ़ा करता है, मैं कुछ इस तरह सिला देती हूँ
वो झलकता है मेरी हर अदा में, मैं उसकी आँखों में दिखती हूँ
वो मेरे सारे अल्फाजों में है, मैं उसकी हर बात में रहती हूँ
वो मेरे गेसुओं को संवारता है, मैं उसके बाल सहलाती हूँ
वो मुस्कुराता है मुझे सँवरता देख, मैं उसे देखते हुए शरमाती हूँ
वो ठीक करता है मेरी साड़ी का पल्लू, मैं उसकी शर्ट में बटन लगाती हूँ
वो मेरे लिए चाय प्यार से बनाता है, मैं खाना उसके लिए मगन बनाती हूँ
मैंने पहन ली उसकी दी हुई पायल, उसने मेरा गुलाब रख लिया
उसने सारी ज़िंदगानी मेरे नाम करदी, मैंने उसको अपनी मौत पे हक़ दिया
~शिवानी पाण्डेय
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