Shivani Pandey   (शिवानी)
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Joined 19 February 2020


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Joined 19 February 2020
16 APR 2023 AT 17:46

श्री कृष्ण चंद्र मुखारविन्द, अनूप अद्भुत सुंदरम्।
अरविन्द पद सारंग कर,नवनीत अधर मनोरमम्।।
गिरिधर गोपाल कृपालु अच्युत वासुदेव जयंतहम्।
नाथ मम संकट हरो, करबद्ध तव रविलोचनम्।।

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26 MAR 2023 AT 19:43

चंचल या सहज सरल मोहन?
हे नाथ, मुझे यह बतलाओ
किस भाँति बाट जोहुँ तेरी
कुछ विधि प्रभु मोहे सिखलाओ

राह देखती सखियाँ तेरी
पनघट जमुना घाट किनारे
दो दो नयन दरस को प्यासे
श्याम पधारो द्वार हमारे

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21 MAR 2023 AT 21:11

दूर पहाड़ों पर कोई
तितली इतराती फिरती है
बिन मौसम के सावन आया
बदली बेपरवाह बरसती है

कोयल बोल रही सुबह से
मोर, पपीहा नाचे हैं
हँसी ठिठोली करती सखियाँ
अलक के झुरमुट झाँके हैं

आँगन ताल तलैया जैसा
मैं गुड़हल और कनेर हुई
रात झमाझम बरसे बादल
रिमझिम बूँदों सँग भोर हुई

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16 MAR 2023 AT 20:43

ये दिल गिरवी उसे देना, ये दिल ही दिल में ठानी हूँ
कहे जिसको जो कहना है, हाँ उसकी मैं दीवानी हूँ
सभी जलते हैं मेरी चाह, मेरे यार, दिलबर से
वो थोड़ा सा आवारा है, मैं ठोड़ी सी सयानी हूँ

सफ़र तन्हा ही कट जाए ऐसा हो नहीं सकता
कांधों के सहारे बिन, आशिक रो नहीं सकता
मिले दीदार न जबतक दिलबर की अदाओं का
बजा के चैन की बंशी, आशिक सो नहीं सकता

कटारी इश्क़ की जबतक, दिल पे चल नहीं जाती
चमक आँखों की जबतक आँसुओं में ढल नहीं जाती
कँटीली राह से होकर पहुँचती प्रेम की नगरी
दीवानी मीरा कोई यूँही जोगन बन नहीं जाती

~शिवानी





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14 MAR 2023 AT 19:28

इक जवाब 'तुम' का सवाल हज़ार हो जाना
झुमके सहेज लेना, मीना बाज़ार हो जाना
सुकूं देना तुम अपनी मोहब्बत में मुझे
मेरी मोहब्बत में तुम इतवार हो जाना

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11 JAN 2022 AT 11:36

आफ़त या बला?

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20 MAY 2021 AT 9:42

उसे ज़्यादा कुछ नहीं, बस मेरे पापा जैसा बनना है
गुड़ वाली चाय पीनी है और उनके जैसा दिखना है

उसे मुझसे थोड़ा कम, मेरे पापा से प्यार ज़्यादा है
शाम की चाय उनके सँग हो, दायजा में बस इतना है

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17 MAY 2021 AT 19:58

हर्फ़ दर हर्फ़ मैंने कृष्ण लिखा या कृष्ण में सारे हर्फ़ लिखे
जो झाँका मैंने दर्पण में, मैं थी न, केवल कृष्ण दिखे

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16 MAY 2021 AT 10:31

साधना हो प्रेम की तो प्रेम क्यूँ न ईष्ट हो?
प्रेम ही जो ईष्ट है तो प्रेम ही अभीष्ट हो

अधीरता में धीरता का पर्याय मात्र प्रेम है
प्रेम ही पुराण, प्रेम ग्रंथ, शस्त्र प्रेम है

प्रेम ही परास, प्रेम पुष्प, प्रेम पूज्य है
श्याम! बतलाइए क्या प्रेम सम दूज्य है?

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14 MAY 2021 AT 18:06

जमुना प्रतीर और कोयल की कूक हो
बाँसुरी हो श्याम की ,शेष सब मूक हो

मिले वही डगर जहाँ प्रेम हो, अपार हो
चूड़ियों की खनक औ बेला की बयार हो

श्रृंगार मोतियों से हो, यामिनी से अंजन हो
आज के दिवस पे, मन में रागिनी स्पन्दन हो

ख़ुशी का हो आगमन, अंकित मुस्कान हो
प्रेम स्नेह सब मिले, कृष्ण पद स्थान हो

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