आज तो हमें गम ही पीना पड़ेगा गम को भुलाने के लिये
इन दिनों तो अमावस भी थिरकेगी चाँदनी लुटाने के लिये
पापा के ज़माने की कश्ती परेशान हुँ उसे जगाने के लिये
अपना रंग छोड़ गई अभिनय में दुनियां आजमाने के लिये
क़िरदार भी जुटा है आसमान को चाँदनी से तपाने के लिये
लो वो चल बसी स्वर्ग में रहते उस वक्त को सताने के लिये
दबे सारे किस्से ज़ुबान कतरते उसको फिर मनाने के लिये
दुआ लपेटते है हथेलियो पर गुजरे वक़्त को थमाने के लिये
हर जगह पायल बज रही है हवा हवाई को बुलाने के लिये
सारी पलकें नम है पलको की नव रंग चूड़ियां भुलाने के लिये
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