मुझे मालूम था ये काफ़ी ना था,
तुम मौन से मुनि हुए, मेरा इरादा बदल गया..!!-
महज़ ख़लिश है दिल की,पसन्द आए तो ठीक ,नहीं तो जाने दे..!!
"रख लूँ चेहरे पर मुख़ौट... read more
मैंने तो बेच दिए थे ख्वाबों को इस कदर अपने
और तुमको भी कहानी के किरदार में रहना था-
गुरेज़ इस बात का, की मैं ख़्वाब हूं
तू हिज्र का मारा, मैं वस्ल- ए रात हुं
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सुना है.. तुम्हारे शहर की आवा-जावी रोक दी है
हाँ......, मौसम ख़राब है, यादों पर भी चालान है
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फ़िर वही हवा चले शायद.!
चाँद के शब तले हम मिले शायद
दुनिया का है,भी तो क्या है
हम इक दूजे में हों शायद
अरसा एक बीत गया तो क्या है
तुम से हम, हम में तुम,
हम ही हम हो शायद,
आस है तो बस इतनी
अब ना कोई गम ना कोई इल्म हो शायद
कभी मिले फुर्सत, तो आकर देख
कहीं ख़त के पुर्जे मिले शायद
फ़िर वही हवा चले शायद..
चाँद के शब तले, हम मिले शायद.!!-
चिथड़े की बदन पर और भूख की तपन रखी है,
जबां पर लार और पानी में डकार रखी है,
ओर सुना है की चाँद आज फ़िर उसे, रोटी सा दिखेगा..!!
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हवा सर्द तेरे शहर की,पिछली सर्द जैसी है
रातें दिये पर रख,ख़्वाब रंगों का देख रही है
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आदत अच्छी नहीं
रोज रोज ईशारों से बुलाकर
यूँ तुम्हारी चुप्पी साध लेना-
कल एक ख़्वाब सिरहाने आकर लौट गया
प्रेम था शायद, लौटना था, शों लौट गया.!-
वाबस्तगी पर बवाल देखो
रुपयों पर गिरे इंसान देखो
लौ पर लौ लगाते है लोग
अब तो जाना ईमान देखो
हर मूरत में ढूंढते है ख़ुदाई
कभी माँ की ज़बाँ पर अज़ान देखो
लगें है हर मन पर ताले यहाँ
अब आते कहाँ मेहमान देखो
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