QUOTES ON #हुस्न

#हुस्न quotes

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3 NOV 2019 AT 12:06

एक दिन हुस्न से सादगी ने कहा
मुझको पहना करो सच्चा जेवर हूँ मैं

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9 APR 2018 AT 10:37

ततावुल ना किया कर...तू अपने हुस्न पे इतना,
उम्र चढ़ेगी...तो ये उतर जाएगा...
सुना है तेरे शहर में...चूहे बहुत है...
कोई आशिक़ बनकर...कुतर जाएगा ।😍😂😘

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21 APR 2020 AT 3:09

शाम जो तेरे पहलू में ढलती है
फिर रात-दिन तुझसे मिलने को तरसती है

फिजाएं भी तुझे देखकर रंग बदलती हैं
छोड़ अपना रंग वो तेरे रंग में रंगती हैं

जो हवाएं तुझे छू कर गुजरती हैं
तेरी मोहब्बत के लिए वो भी तरसती हैं

ये घटाएं भी तुझसे मिलने को बरसती हैं 
हुस्न तेरा देख गिरती हैं संभलती हैं

शमां जो तेरे कमरे में जलती है
तेरे ही इश्क़ में सारी रात पिघलती है

शाम जो तेरे पहलू में ढलती है
फिर रात-दिन तुझसे मिलने को तरसती है
- डोभाल गिरीश
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13 AUG 2018 AT 10:47

हुस्न-ए-सीरत को नज़र-अंदाज़ करके, हुस्न-ए-सूरत से इश्क़ करते है
हटते है जब मुखोटे सूरतों से, टूटा दिल लिए फिर त्राहिमाम त्राहिमाम करते है

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31 JAN 2020 AT 12:11

हुस्न-ए-दरिया का बखा ना करो 'कहानी' लिखकर,
प्यासा क़तरा भी डूब गया साहिल पे 'पानी' लिखकर!!

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"जानलेवा नशा हैं तेरे हुस्न की अदाओं में
झूमता हूँ जैसे बेख़बर फिज़ाओ में
शहर के मयख़ाने भी अब तो रहने लगें हैं चिंताओं में
अक्सर पूछते हैं मुझसे ऐसा क्या खुम हैं तेरी मल्लिका की पनाहों में"

©कुँवर की क़लम से...✍️


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12 JUL 2018 AT 17:44

कामना,लोभ मिटाकर, खुद को निष्काम किया है
जवान हसरतों को जलाकर, खुद को बच्चा किया है

बढ़ती उम्र के साथ गलतियां बेहिसाब की
अहसास होते ही हर गलती का सुधार किया है

आशिकी का भूत था, न हद थी पागलपन की
आवारगी में ना जाने,दिल किस-किस के नाम किया है

ना तलब खूबसूरती की,ना बहक सकता हूँ अब प्रमत्त नयनो से
इच्छाओं, अभिलाषाओं का गला घोंटकर, खुद को योगी किया है

हुस्न दिखाकर ढूंढ रहे हैं मुझमें वो शख्स पुराना सा,
बेख़बर है कि "मुनीष" ने "मुनीष" को मारकर,"मुनीष" जिंदा किया है

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1 SEP 2020 AT 1:48

कुछ नहीं देखा हुस्न-ए-महबूब के आगे
कोई है क्या यहाँ इस मज़रूब के आगे?

पहुँचा दो मेरा हुस्न-ए-कलाम उन तक
कुछ लिख नहीं सकता मकतूब के आगे

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29 SEP 2020 AT 9:10

अपना हुस्न देखना हो तो चाँद देख लिया करे जनाब
ये आईने तुझे देख कर टूट जाया करते हैं.....

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1 SEP 2020 AT 10:06

उसके हुस्न के चर्चे,
कुछ इस तरह आम हुए.
हम गुज़रे उसकी गली के,
करीब से भी तो बदनाम हुए.

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