Girish Chandra Dobhal   (Dobhal Girish)
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Love, Life, Nature, Spirituality, Philosophy, Social Issues, and
Personal Experiences.
Joined 11 November 2019


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3 AUG AT 9:02

कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 🙏

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29 JUL AT 7:05

प्रकृति की सुंदरता में प्रेम की वर्षा होती है
जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है

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22 JUL AT 17:23

प्रेम क्या है?
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20 JUL AT 17:16

प्रेम में अगर पाना है, खोना है,
बिरह है, बेदना है,
तो वह प्रेम नहीं,
अहंकार और वासना का ही एक रूप है।
प्रेम पाया तो अहंकार की तृप्ति हुई,
वासना को शांति मिली।
प्रेम खोया तो अहंकार को चोट पहुंची और पीड़ा हुई।
प्रेम तो शुद्ध त्याग है,
जो बस देना जानता है,
जिसमें खोकर भी पाने का अपार सुख है।
— Dobhal Girish





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20 JUL AT 9:14

प्रेम, प्रकृति, आत्मा, परमात्मा
कुछ भी तो पूर्ण नहीं है,
फिर पूर्ण क्या है?
पूर्ण वही है जो सम्पूर्ण है।
और सम्पूर्ण क्या है?
सम्पूर्ण यह सारा अस्तित्व है,
जिसमें सभी एक दूसरे के पूरक हैं।
इसलिए कहता हूँ कि
पूर्णता में वही है, जो सम्पूर्णता में है।


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17 JUL AT 16:03

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12 JUL AT 7:50

जो मान लेता है,
वह फिर जानने की कोशिश नहीं करता,
और बिना जाने ज्ञान संभव नहीं।
मान लेना मतलब जानने से मुक्त हो जाना
यह तो कामचोरी है,
और यही मनुष्य की अज्ञानता का कारण है।

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3 JUL AT 13:03

Dhyaan me itna doob jao
Par dhyaan rahe,
Duniya se kabhi kisi ko
kuchh nahi milta.
Aur jo janm se hi mila hua hai,
Usi ka gyaan rahe.

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30 JUN AT 13:31

क्यों कोई सितारा आसमां से टूटता है?
जैसे चाँद गगन से उम्र भर को रूठता है।
इस भवसागर रुपी जीवन में,
क्यों किसी का हर कश्ती से साथ छूटता है?

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28 JUN AT 18:10

मेरे आसमां से इक सितारा टुटा है
कोई चाँद अपने गगन से उम्रभर को रूठा है
वो जो मेरा सागर जैसा दोस्त था
उसका जिंदगी की हर कश्ती से साथ छूटा है

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