लगा के "आग" शहर को,"बादशाह" ने कहा,
उठा है आज दिल में "तमाशे" का शौक बहुत,
झुका के सर सभी "शाह-पस्त" बोल उठे,
"हुजूर" का शौक "सलामत" रहे,
"शहर" तो और भी बहुत हैं..!!!!-
"मजदूरों" की बस "कथा" नहीं,
अगर उनकी समझनी है "व्यथा" भी,
तो कम से कम एक दिन के लिए
"हुजूर" को भी बनना चहिए "मजदूर"...!!!
(:--स्तुति)-
हुजूर बड़ी से बड़ी बात को कम से कम शब्दों में कह जाने का हुनर अब भी बहुत आम नही हैं..!!
Huzoor bade se bade baat ko kam se kam shabdo me keh jane ka hunaar ab bhe bohut aam ni hai..!!-
मैं क्या लिखूं खुदा के शान में,
रहमत,बरकत,इबादत,जन्नत सब तो है हुजूर के नाम में ।
Eid Milad Un Nabi Mubarak.-
1. आपकी ख़ता,
ये आपका सुरूर,
है न हुजूर!!
2. झूठा ग़ुरूर,
बेवज़ह की ज़िद,
कैसी ये प्रीत?
3. मैं क्या कहूँ?
बिन कहे समझो,
दिल की बातें!
सिद्धार्थ मिश्र-
लाज़मी है ये अकेलापन
सफ़र - ए - खास में हुजूरेआला,
अरे ! मैं तो साया हूं तुम्हारा,
और साया भी कभी
खुदसे अलग होता है भला.?-
"चाहे जितना नजरअंदाज कर लो हुजूर
मेरा जिक्र करने वाले तो याद दिलाएंगे
मालूम है बहुत गैरजरूरी हूँ आपके लिए
पर खून के रिश्ते को आप कैसे भूलाएँगे"
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