मैं हूं
सावन है
बरसात का मौसम है
महादेव का मंदिर है सामने
कदम बढ़ाए बढ़ रही हूं मंदिर में
जल चढ़ाकर नस्तमस्तक हूं, मांग रही हूं
हे! भोले मुक्त कर दो पापों से मुझको शरण में लेकर ।।-
Kanchan Singla
(@kanchansingla462)
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!!Writer!!
Joined 30 June 2025
AN HOUR AGO
5 HOURS AGO
मैं हर शब्द का हिसाब लूंगी तुमसे
तुम चुकता कर देना, जो बकाया होगा
वह हर नए शब्द के साथ जुड़ता जाएगा।।-
14 HOURS AGO
प्रतिलिपि पर मेरी लिखी गई एक पूर्ण नॉवेल का एक अंश....वहां मेरी प्रोफाइल नेम "कंचन सिंगला" एंड नॉवेल नेम है "ऐरिना - दा वैंपायर डायरी"
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18 HOURS AGO
आत्मचिंतन ऐसा है, यह मधुमेह जैसा है
यह जिवाह का स्वाद नहीं, यह आईने जैसा है
तुम जितना देखोगे इसको, पाओगे स्वयं को
आत्मा से आत्मा का जुड़ाव कुछ ऐसा है
स्वयं में झांकने जैसा है, आत्मचिंतन ऐसा है।।
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