आओ आज तुम्हें सुनाऊँ एक छोटी सी कविता
मेरे जीवन को प्रकट करती यह हास्य कविता
एक रोज कक्षा में बैठे बच्चों को पढाऊँ
नटखट बच्चों की टोली को मैं बड़ा ही समझाऊँ
बीच-बीच में बात करें , मैं बीच-बीच समझाऊँ
आता है तब मेरे पास
एक नन्हा सा बच्चा
कहता है दीदी "मुझे पानी पीने जाना"
देख नन्ही-सी सूरत
मैंने बोली " हाँ"
भीगा भीगा आया वो कुछ पल के बाद
आकर बोला वो मुझसे
बड़े बच्चों ने भिगाया
और बोला-
धूप में खड़ा हो जाऊँ थोड़ी देर मैं
ताकि फिर से कक्षा में आ पाऊं मैं
पता चला कि वह तो थी एक छोटी सी ठिठोली
उस नन्हें से बच्चे ने की थी एक छोटी सी मस्ती
ना पढ़ने का था बहाना इसलिए खेल रचाया
जानकर मुझको यह सब, थोड़ा सा गुस्सा आया
पर उसकी प्यारी ठिठोली ने मुझको भी थोड़ा हँसाया
अचानक मेरी दोस्त का संदेशा उसी समय आया
बोली वह मुझसे यह कि-
आज मैंने स्कूल में एक जीके का सवाल दोहराया
बोलो बच्चों- "राजस्थान में सबसे ऊंची चोटी कौन सी"
एक बच्चा बोला यह उठकर
जी मैडम! आपकी
इससे बड़ी चोटी मैं ने ना देखी किसी की
सबसे बड़ी चोटी तो मैडम केवल आपकी
सुनकर उत्तर मुझको यह, बड़ी हँसी आई
छोटी-छोटी बातें कब हास्य रस में बदल जाए, पता ही नहीं चलता है।
-