red   (ʀɛɖ)
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Joined 21 June 2019


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16 HOURS AGO

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11 AUG AT 20:18

क्यों खुश रहूँ? क्यों ग़म करुँ? मैं जानता तो हूँ,
आँखें खुली या बंद हो, सब कुछ भरम ही है।

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30 JUL AT 20:18

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28 JUL AT 19:41

ये लोग कहते हैं मैं ग़म बड़ा कमाल लिखता हूँ,
उन्हें नहीं पता कि मैं तो अपना हाल लिखता हूँ।

सनम के बालों को कोई कहे हैं रेशमी गेसू,
मगर मैं तो उसे भी नागिनों का जाल लिखता हूँ।

फ़क़त साँसे हुई जो बंद तो मैं मौत समझूँ क्या,
मैं ख़्वाहिशों के मरने को भी इंतिक़ाल लिखता हूँ।

किसी ने कुछ कहा तो आँख मूंदे मान मैं भी लूँ?
ख़ुदा के नाम के आगे भी मैं सवाल लिखता हूँ।

लगी है आग जो काग़ज़ पे मेरे लफ़्ज़ वज्ह है,
कलम में खून अपना भर उसे उबाल लिखता हूँ।

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14 JUN AT 20:24

Me reading my childhood diary
" Bada hokar bada aadmi banunga aur garibo ki madad karunaga.."

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11 JUN AT 19:40

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27 MAY AT 19:29

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22 MAY AT 19:52

मच्छर और पत्नी

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10 MAY AT 20:30

— % & — % &

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28 APR AT 19:42

इस महँगाई के ज़माने में मोहब्बत अब सस्ती नहीं — % &वह है महलों की रानी उसके आगे मेरी हस्ती नहीं— % &जेब खाली और प्यार भर दिल में किया इज़हार मैंने
— % &कहा उन्होंने आँखें दिखाकर— % &

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