क्या कोई कर्ज़ है
पिछले जन्म का
जो उतार रहा हूँ।
ना चाहकर भी मैं
तुम्हें क्यों इतना
चाह रहा हूँ।।-
मर्दों के लिए बाँहें एक ख़्वाब सा है
और मज़दूरी हर दिन की हक़ीक़त-
क्यों खुद को
नई उलझनों में
मसरूफ़ करूं ?
मुझे सिर्फ़
तुझसे इश्क़ है
और ताउम्र रहेगा ।-
क्यों छुपाता है ज़ख्म
रोना आये तो रो लिया कर
जाम हर मर्ज़ की दवा नहीं होती
आँसुओं से भी ग़म धो लिया कर-
उस हद तक मोहब्बत करो
कि कोई मलाल ना रहे
भले रहे नाकामी मगर
दिल में कोई सवाल ना रहे-
मैं चांद-तारों के तरह
चमकना नहीं चाहता
मैं अंधकार होना चाहता हूँ और
कोई चमके मेरी आग़ोश में।-
सब कुछ पा कर भी,
क्यों अपनी तन्हाई मिटा नहीं पाता !
काश मैं बादल होता,
एक बार बरस कर ख़त्म हो जाता ।-
ये बात जान कर भी
कि वहाँ रहम नहीं मिलेगा
मैं उसकी गोद में
अपना सर रख रहा हूँ।
हाय मैं कितना बेबस हूँ!-
ये बात याद कर मैं
मुस्कुराता हूँ, इतराता हूँ।
तुम्हारे इश्क़ की महफ़िल में
मैं सबसे देर तक ठहरा।।-
ना हम करते मोहब्बत
ना हम बर्बाद होते
काश हम उसे भूल जाते
हम भी आबाद होते-