ऐसा लगता है मेरा खुदा ही नहीं
कुबूल होती कभी मेरी दुआ ही नहीं-
खामोशियाँ कहती रहीं जो उसने कहा ही नहीं,
मैं सुनता रहा वो जो कभी सुना ही नहीं,
अजीब मेरी हालत है या हालात हैं अजीब,
वो मेरे सामने भी थी और थी ही नहीं!-
वक़्त और हालात सिखा देते है
वक़्त मैं इंसान बदल जाते है और
हालात से समझोता कर लेते है-
ना खाओ तरस मेरी हालत पर
दवा क्या दोगे मेरी तबीयत पर
बातों में दवा है मेरे दिलदार के
उसे बुलालो किसी कीमत पर
मेरी खुशी वो मेरा सुकून भी है
नींद आये मुझे उसकी सूरत पर
दुनिया वालों मुहब्बत के दुश्मन
कितना करोगे जुल्म मुहब्बत पर
तुम्हें ग़ुरूर है अपनी ताकत पर
मुझे यकीन है रब की रहमत पर-
वो चूल्हे के नज़दीक, पड़ी हुई लकड़िया,
बस, कुछ उसी तरह की हालत हो रखी है।।-
बस इक लतीफ तबस्सुम बस इक हसीन नजर
मरीजे-गम की हालत सुधर भी सकती है,-
भरोसा, दिल और ख़ुद भी टूटे ऐसे
अब आस किसी पर टिकाए कैसे
दिल की हालत हो गई ख़राब कुछ यूँ
साक़ी ये दिल किसी और से लगाए कैसे-
जानता हूँ के हालत कुछ मजबूर है मेरी आजकल ,
मैं रात ही सही मगर ,मैं उजाले के इंतज़ार में हूँ !
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बहुत मनाया उनको पर वो माने नहीं।
हम क्या थे यारों वो हमें पहचाने नहीं।
कहते हैं अब हमको वो कि अब वो
पहले की तरह हमारे रहे दीवाने नहीं।
अब सब कुछ दिखता है उनको पर
इश्क़ के वो सारे रंगीन नज़राने नहीं।
अब हम कैसे बताए उनको दोस्तों।
वो मेरे अपने है कोई अनजाने नहीं।
प्यार बड़ी ही "प्यारी" चीज़ होती हैं।
वो चला जाता उसके अफ़साने नहीं।
अब उनके लिए अजनबी हो गए हैं।
पर वो हो सके हमसे "बेगाने" नहीं।
क़िस्मत से ही हार गए हम "अभि"।
अब उनके दिल में रहें ठिकाने नहीं।-