उसकी इज्ज़त को इज्ज़त दर्द को दर्द समझता है
बहुत खुशनसीब है वो औरत जिसे मर्द समझता है-
"Koi ilm nahin hai mujhe likhne ka...koi shauk nahin hai______bu... read more
बहुत इंतजार है तेरे लौट आने का
यही हसरत है इस दिल दीवाने का
तेरे कदम एक बार पड़े दिली आरजू
रौनक बढ़ जाए मेरे गरीब खाने का
भूलाना चहोगे हमें और याद आयेंगे
भूल जाओ ख़याल हमे भूल जाने का
ज़माने के डर से हो ख़ामोश कबसे
देखना रुख बदल जाएगा ज़माने का
जो भी खता हुई मुझसे माफ़ कर देना
बहुत अफसोस है तेरा दिल दुखाने का
उठाना ही पड़ता है कलम शायरा 'को
नहीं आता दूजा तरीका ग़म मिटाने का-
अज़ब इश्क़ मेरा अज़ब इम्तिहान लेता है
मेरा ही कत्ल करके मेरा ही बयान लेता है
कितना वार कितना वजूद लहूलुहान हुआ
मेरे वजूद पे सारे जख़्मों के निशान लेता है — % &-
लिखने का हुनर मेरा मुझे बदनाम कर गया
जो दिल में छुपा रखा था सरेआम कर गया — % &-
जितना मेरी जान मैं तुमसे प्यार करूँगी
अपने दिल पर उतना इख़्तियार करूँगी
कभी छलक जाए गर मोहब्बत आँखों से
ना मैं इंकार करूँगी ना ही इकरार करूँगी— % &-
आज कल बस बे-रुख़ी अच्छी लगती है
चेहरे पर अब झूठी हँसी अच्छी लगती है
दुनिया की हकीकत देखकर होश उड़ गए
अब ख़्वाबों की बे-ख़ुदी अच्छी लगती है— % &-
फ़ैसला मुश्किल था मगर दिल पर इख़्तियार किया
पल में बिछड़ने दिया हमने ताउम्र जिसे प्यार किया — % &-
दिन-ब-दिन अपनी लापरवाही को नजरअंदाज़ करते-करते....
कितने काम अधूरे रह जाते हैं
आज कल आज करते-करते— % &-
अब मजलिसें मुझे रास नहीं आती
ज़हर जैसी तर्ज़-ए-कलाम हो गई
लफ़्ज होते हैं आर-पार दिल के....
चाकू छुरी तो ख़ामख़ाह बदनाम हो गई— % &-