ये हाथों की लकीरें जताती हैं क्या?
हमारा भविष्य ये बताती हैं क्या?
सुना है द्वार कोई साधु आया,
स्वयं को उसने त्रिकाल है बताया।
बैठे हैं सभी पास हाथ दिखाने,
अरे देखो बैठे हैं किस्मत जँचाने।
कोई है खुश कोई हो रहा निराश है,
कोई है जा रहा किसी को अभी आस है।
दूर बैठी देखती मैं हो क्या रहा है,
हाथ की लकीरों में भाग्य दिख रहा है?
भोले-भाले लोगों को कौन समझावै,
परिश्रम से ही सब अपना भाग्य बनावै।
यदि कभी इन लकीरों पे हो जाए विश्वास,
याद कर लेना ज़रा पाणिनि का इतिहास।-
भले ही कुछ नहीं लिखा मेरे हाथों की लकीरों में
कुछ-ना-कुछ बनेगा मेरा बेटा
माँ की इन बातों से यकीन नहीं जाता मेरा-
कुछ लम्हे ऐसे होते है जिन्हे मिटाना हाथों की लकिरो जैसा मुम्किन नहीं ।
-
तुझे हम भला क्यों, बहुत सोचते है
नसीबा यही है तो क्यों कोसते है
लकीरें तुम्हारी अगर जो नही है
ख़ंजर हाथ पर रोज़ क्यों खरोंचते हैं
मिले तुम न हमको चलो ये बता दो
तसव्वुर सभी ख्याल क्यों नोचते है
तुझी में कहीं खो गया है शख़्स वो
मुझे चाहता था वही खोजते हैं
दिखा जब भी महबूब के साथ कोई
बहुत तड़पते है मन मसोसते है-
हम में फ़ासला ज़रूरी है राह अलग हो, मंज़िल वही
कुछ ज़माने की मजबूरी है ऐसे सफर को मंजूरी है
तुझ बिन कहाँ अब रह सकते है हाथो की लकीरें बदले तो
खुद को बताना भी जरूरी है ज़िंदगी फिर ये सिंदूरी है
कितनी बातें अभी बाकी है Dr.Rajnish
ख्वाहिशें भी सब अधूरी है Raj4ever
अहसास हर घड़ी रहता है
हुए करीब, चाहे दूरी है
तुम्ही निकले हो छतपर शायद
आँगन में चांदनी पूरी है-
लकीरें तो हमारे
हाथों की भी बहुत खास है
तभी तो आप जैसे दोस्त हमारे पास है-
लिखतें हैं श्याम , हाथों कि हथेलियों में , प्रेम हों राधे , जैसे तुम मेरी किस्मत में ,
बन जाऊं यें टेढ़ी-मेढ़ी लकिरें तेरी तकदीर बन कें !...
बन्धन हों , धड़कन जैसे सांसों का , तुम बस्ती हों कुछ ऐसे , एहसास बनकर ,
मेरे दिल में !!...
-
Mera Zamir Mujse Kahta Hai..
Kya Dekhta Hai,
Apne Hatho Ki Lakiro Ko...??🤔
❤️ RaHuL ❤️
Wo To Teri Tab Bhi Na Thi,
Jab Uska Hath Tere Hath Me Tha..!!
😇😇-
हाथों की लकिरों में कोई सच्चाई नहीं होती, वरना
मेरे हाथों में लकिरों से बने दो दिल में तुम एक में तो होते..-