एक तस्वीर छुपा रखी थी उसने
~ शायद
कई बरसों पुरानी हाेगीं ~
पैरों में छालें
हाथों में गमच्छा
भरकर आंखों में मजबूरी
वो रहा कह खुदा से
~ मेरे हिस्सें तूने मोहब्बत की गुलामी
जानें कई दफा लिखीं होगी ~-
#अनकहेअंदाज #बेजुबाअल्फाज
💕📝💕~~~ poetry~ is ~the ~best~ way ~to ... read more
मेरी आंखों में
उसने ख़ुद को देखा ही कहां ~
~ मैं कैसे कहें दूं
उसकी आंखों मैं
मैंने खुदा देख लिया क्या ~
-
पहली मुलाक़ात का वों क़िस्सा लिख़ दूं ~
~ दुनियां सारी भूलं कर तुझें अपनें हिस्सें लिख़ दूं !...
गलें लगा कर ख़ुद कों जों सुकुं मिलें मेरे दिल कोंं ~
~ ऐसे झकोंरें में ख़ुदा दें अपनें हाथों वहीं दुआ लिख़ दूं !...
लम्हें लम्हें गुज़र रहें हैं इंतज़ार में नादान-ए-शक्श ~
~ तेरे इंतज़ार में फ़िर कोई नई दास्तां बयां लिख़ दूं !...
खतां ना करों तुम बेंवजह-ए-बेंवफ़ा बतानें की ~
~ मैं हर इक-इक वफ़ा पें तुम्हें ही अपना गुनहगार लिख़ दूं !...
ज़िंदा जलें हैं हम साहिल बें-जुबां बन तुम्हारें ~
~ खैरियत ना रहीं ठिक मेंरी तेरे इश्क़ में ,
बताओं Pihu इसें अब किसकें इल्ज़ाम लिख़ दूं !...-
प्रियें
तुलसी बनकर आना ~
~ मेरे घर के आंगन में ,
जों हमेंशा पूजनीय रहें ~
प्रीत
प्रेम की मूरत ~
~ बनकर रहना मेरे दिल में ,
जों हमेंशा शिवालय बनें रहें ~
-
मेरे हिस्सें में लिख दों अब कोई सज़ा~
~मुझें यें माफ़ीयां सच्ची नहीं लगती !...
गैरों से पूछं लेंगें हम हाल अपना~
~हमें अपनों की गुस्ताख़ीयां अब अच्छी नहीं लगती !...-
~~~जान हों तुम मेरी
तुम्हें ख़ुद से कैसे हासिल कर लूं !...
शिकायतें तों नई नई दर्ज होती रहेंगी मेरे दिल में
मैं~~~~❣️
तुम्हें चाहनें की चाहत कैसे आधी कर लूं !...-
चल झूठी बातें ना कर मुझसे~
~मैं ख़ामोश ठीक लगती हूं !...
क्या जान लोगे सच मेरा तुम~
~मैं तुझमें अपनी हकीकत रखतीं हूं !...-
कीमत कहां हैं इन सांसों की~
~हार जाती हैं अपनों के आगे !...
जैसें कोई रखा हों हमनें एक टूटा दिल~
~ अपनें हाथों से अपनों के आगें !...-
झूठ नहीं बोंला करतीं मैं
फ़िर भी जानें कितने झूठ बोंले हैं ,
मेरी पहली तमन्ना तुम्हें चाहने से शुरू हो कर
मेरी आखरी तमन्ना तुम्हें चाहने तक रह जाती हैं ,
कहां ठहरू मैं
यह खबर ख़ुद को नहीं हों पाती हैं
जैसे-जैसे मेरे दिल की बात , मेरे दिल में हीं दफ़न रह जाती हैं ,
यादों-वादों के खंडहर में , अपनें आश्कों कों बसाकर
मन की पीड़ा मुस्कुराहट में छुपाते-छुपाते~
जिंदगी एक मोड़ पर थक कर सो जाती हैं ,
फ़िर भी ज़िंदा हूं , वों कैसे ?.
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आंखों में कैद हूं ' Pihu ' तुम्हारी ,
दिल में मुझें आज़ाद रहनें देना !.
तबीयत तों ठीक थीं मेरी पहले साल ,
एक बरस मुझें बीमार रहनें देना !..
आरसी कहां रहता हैं तन्हा~तन्हा ,
तिरी दशा मुझें उस दीवार लगें रहने देना !...
आशिक़ हूं मैं तेरे शहर का ज़ाहिल ,
मेरे गांव में मुझें गवार रहनें देना !...-