आज बात करता हूँ तेरे कान में लगे उस झुमके की
क्या कहूँ, दिखने में तो बड़ा हसीन लगता है
पर सच कहता हूँ, तुझ पर सजा हुआ और भी प्यारा लगता है
To be continued..-
मेरे हिस्से के, बचे रंग को, चल.........!
तेरे हिस्से के, बचे रंग से, मिलाते हैं।
जो नई रंग, बन जाए, क्यों ? न........,
उन से, एक हसीन, तस्वीर बनाते हैं।।-
मत करो इतना ग़ुरूर अपने हुस्न पर
यूँ ही इतनी हसीन नहीं हो तुम
इन सफ़ेद सफ़्हों पर
जो नीली सफ़ें है
उन नीली सफ़ों के बीच
गुलाबी स्याही से
अपनी नज़्मों में
हर्फ़-दर-हर्फ़
'मैंने' उकेरा है तुम्हें
- साकेत गर्ग 'सागा'-
गर हो इजाजत तेरी तो आज तेरी तारीफ में सारी कयानात ही लिख दूं
तुमसा और कोई है कहां इस जहां में..क्यों ना मैं तुम्हें खुदा ही लिख दूं
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चीर दूंगा मेरे जख्मी पैरों से इन लंबे रास्तों को ,
वक्त मेरा बताएगा औकात इन हसीन चेहरों को।-
ख़ूबसूरत होती है
बेहद हसीन होती है
ख़्वाबों की दुनिया
असल जिंदगी से
बेहद बेहतरीन होती है!-
बढ़ा लेना, अपनी हथेली, हम भी.....!
अपनी, हथेलियों को, बढ़ा लेंगे....।
वो शाम, कितनी हसीन होगी, जब मिलकर...,
अपने चौखट पे जले, दिये को, हवा के झोके से, बचा लेंगे......।।-