हसरतों की चादरों में सलवटें मेरी भी हैं
हो सफर में साथ उसका चाहतें मेरी भी हैं-
कुछ चाहतें यहाँ आज भी बेहद होती है,
इनकी शायद जन्नत में शरहद होती है।-
छुपी हसरतों का पूरा गलीचा बिछा हुआ है
परदा जो उठ गया तो अंजाम ख़ुदा जाने।
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मेरे सफ़र में बीते साल का यूं अंजाम रहा
कुछ अधूरे ख़्वाब कुछ पूरी हसरतों का सिलसिला रहा ।-
रोज़े-महशर में खुल्द की चाहतें मेरी भी है..
उसकी ही रज़ा में बेइंतेहा राहतें मेरी भी है..-
मेरी आदत मेरी मुहब्बत मेरी चाहत मेरी इबादत,
सब उसके लिए हैं.
ये और बात है कि इस सफ़र की वो हमसफ़र नहीं.-
Why did mother let me grow up so much??
अगले जनम मोहे मैया न किजो
😔😔😔😔😔😔😔😔😔
एरी माँई
बिरहा की गत देख नी माँई
उनकी पलकों ने ख़्वाबों के मोती चुगना
बंद कर दिया री माँई!
मेरी अंखियों में तो उदासी की काली रेत
री माँई!
आँसू बेक़सूर री माँई,
मोहे इतनी बड़ी काहे होने दी री माँई!
Read my caption's (अनुशीर्षक पढ़े)-
कुछ यूं हमनें अपनी हसरतों को,
जलाना चाहा था उनसे माचिस मांग कर।
और लोगों ने हमें गुनहगारों में गिन लिया।-
" उसका मेरे - मेरा उसके गलियों में आना जाना सा है ,
हसरतों ने मुलाकात खुब की कभी हमने अभी बात ना की. "
--- रबिन्द्र राम-