तन्हाईयों का मुझको, तुम ना अज़ाब दो..
आंखों को मेरी अपना, कोई तो ख़्वाब दो..
आ जाओ ज़िन्दगी में, मुक़द्दर संवार ने,
कांटे दिये चमन से मुझे, तुम ग़ुलाब दो..
करवट जो ले रही, हसरत तुम्हारे दिल मे,
उन हसरतों को अपनी, तुम इंतेखाब दो..
कल भी था मुंतज़िर, हूँ आज भी तुम्हारा,
ग़र हो सके जो तुम से, अच्छा जवाब दो..
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ना नगर में रहा..
ना मैं घर मे रहा..
ज़िन्दगी सफ़र है,
मैं सफ़र में रहा..-
फासले तुम अगर मिटाते तो अच्छा होता..
रात भर तकते हैं, हैरत से सितारे मुझको,
नींद तुम मेरी ना चुराते तो अच्छा होता..-
نا اہل لوگوں کو جب اقتدار ملتا ہے تب بربادی ملک و عوام کی قسمت بن جاتی ہے
ना'अहल लोगों को जब इख़्तिदार मिलता है, तब बरबादी मुल्क-ओ-अवाम की किस्मत बन जाती है...-
कब, कहाँ, किस से ख़्याल मिलता है..
यहां मुश्किल से हम-ख़्याल मिलता है..
हू-ब-हू हम-शकल हो तुम दोनों,
मेरी आरज़ू से तेरा जमाल मिलता है..
जो तसव्वुर में अक्स था अब तक,
उस तसव्वुर से हाल मिलता है..
ये ज़ेब-ओ-ज़ीनत ये मखमली तबस्सुम,
हुस्न ऐसा किसे बेमिसाल मिलता है..
इश्क़ जब भी हक़ीक़ी हो जाये,
हिज्र भी ला-ज़वाल मिलता है..-
ये मत कहो कि तुमको फुरसत नहीं रही..
सच है कि तुमको मेरी ज़रूरत नहीं रही..
یہ مت کہو کہ تم کو فرصت نہیں رہی
سچ ہے کہ تم کو میری ضرورت نہیں رہی-
वाबस्ता है मुझसे, उस कमी को मैं..
पढ़ रहा हूँ कब से, ज़िन्दगी को मैं..
बिखरे हुए हैं रंग, दिखावे के जा'ब'जा,
ले जाऊंगा कहाँ पर सादगी को मैं..-
जहालत के हवाले कभी ज़र्फ़ नहीं करते..
हम अपनी अना को ख़ुद पे फ़र्ज़ नहीं करते..
रब्त जिनसे बन गये ज़िन्दगी में इक दफा,
फिर उनसे कभी तआल्लुक तर्क नहीं करते..-