QUOTES ON #हम्द

#हम्द quotes

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6 SEP 2021 AT 16:59

है सबकुछ फिर भी बिखर गया मौला।
जो तुझे याद करने से मुकर गया मौला।

अभी सुनी थी हमने अज़ान मस्जिद से
बेशर्म सा बन,आगे गुज़र गया मौला।

घिरा हूं लोगो से फिर भी अकेला हूं मैं।
जो तेरी नज़रों से उतर गया मौला।

जो बुनी थी चादर मैने तेरी इबादत से।
मेरा एक गुनाह उसे कुतर गया मौला।


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दर्द इंसानों को दे जाते हैं लोग
और पत्थर पूजने आते हैं लोग

रोते-रोते दूर तक बह जाते हैं
फिर किनारों पर चले आते हैं लोग

सारे चेहरे गमज़दह होने लगे
मौत से पहले ही मर जाते हैं लोग

ज़िंदगी की राह पर भी इन दिनों
मौत बन के सर पे मंडराते हैं लोग

लोग सारे बहरे- गूंगे हो गये
चीख़ने पर भी कहाँ आते हैं लोग

तल्ख़ लहजों के सिवा कुछ भी नहीं
बोल मीठे अब कहाँ पाते हैं लोग

हैं परेशॉं इन दिनों बहुत
घर बनाते हैं गिरा जाते हैं लोग

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5 MAY 2020 AT 16:10

लफ्ज़ कम पड़ जाते है तेरे बखान में
क़ूवत और दे मेरे मौला मेरी ज़ुबान में
करूँ हम्द-ओ-सना दिन-रात तेरी शान में
ऐसी बरकत अता कर तू मेरे ईमान में
शुक्र करता रहूँ तेरा ज़िक्र करता रहूँ
अपनी आख़िरत की फ़िक्र करता रहूँ
तेरे सिवा हमने किसी को पुकारा नहीं
मोमिनो का तेरे सिवा कोई सहारा नहीं
जो गुस्ताख़-ए-रसूल हो वो हमारा नहीं
ऐसे लोगों से कोई रिश्ता हमें गवारा नहीं
तू आलिमुल गुयूब भी है सत्तारुल उयूब भी
हम गुनहगार भी है तो तू गफ्फरुल जुनूब भी
बहिश्त में जाने के लिए भी तो मरना होगा
हूर-ओ-जाम ही नहीं दूध का झरना होगा
गुनाहों से कर तौबा, अज़ाब वरना होगा
अब तो बस मगफिरत की दुआ करना होगा
"ज़ुहैब"इमान वाले हो, मौत से क्या डरना
शाम-ओ-सहर बस ज़िक्र खुदा का करना

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सुन खुदाया
नहीं मांगूंगा
किसी से मुलाकात
और ना
किसी से कोई खैरात!
ये जिंदगी तूने दी
तो देता रह
सिर उठाये दिन
और
सुकून भरी रात!

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अपने बंदों को इंसान बना मौला
जमीन को खलिहान बना मौला
बह रहा लहू होली के रंगों जैसे
अपने नूर की पहचान बना मौला।

अपने बंदों को इंसान बना मौला
शहरों को न सुनसान बना मौला
दिन भी छुप रहा रात के साये में
इस आगाज को अंजाम बना मौला।

अपने बंदों को इंसान बना मौला
भटक गये हैं तो मस्तान बना मौला
खौलता तो होगा खून तेरा भी खूब
हम्द में मेरे इन्हें सुलेमान बना मौला।

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30 MAR 2021 AT 18:30

कोई होठ सी बैठा।
कोई रूठ कर बैठा।
मुझे भी था गम ए हिजर ए यार ,
मैं भी ह्मद लिख बैठा।।

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9 JAN 2021 AT 18:39

हम्द
करता हूं मैं आग़ाज़ तेरे ही नाम से
मेहरबां हो नवाज़ दे मौला ईनाम से
रहमान है तु, है तु रहीम भी
आला है तेरी जात, करीम भी
तेरा करम है तो मेरी ज़िन्दगी में बहार है
कायनात तेरी अज़ीम है तु ही पालनहार है
है तेरा शुक्र मौला, तुने मुझे ज़बान दी
शऊर भी दे मुझे जो कुव्वते बयान दी
ये चांद सुरज और सितारे
हर वक्त गर्दिशों में हैं सारे
गिरते हुए को मुझे संभाल लें
तमाम गर्दिशों से निकाल लें
है कुदरत तेरी बड़ी निराली
फूल लाल, पत्ती हरी, भूरी डाली
हर सू तेरा अक़्स तेरा ही गुणगान है
मैं हूं तुच्छ प्राणी बस तु ही महान है

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19 FEB 2021 AT 23:24

दिन फलाँ और वो महीना पाक है
बाकी जो रब ने बनाया ख़ाक है

नस्ल सब शामिल हुई दुनिया में अब
सब बिना अख़लाक़ के क़ाशाक़ है

ग़र सितम है शायरी करना यहाँ
हम्द क्या है क्या ये नात ए पाक है

कोई कूच़ा हो कोई मक़तल यहाँ
मजहबों की देखी लड़ती नाक है

दोस्तों संग बाँटना ग़र फन यहाँ
कुफ्र है तो ये बड़ा ग़मनाक है

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5 MAY 2020 AT 14:41

जो खिलाता है जो पिलाता है
वो सृष्टि का जन्मदाता है
हम है कठपुतलियां उसी की सब
चाँद सूरज वो ही जगमगाता है
उसके रहम-ओ-करम पे जीवन है
मौत की नींद वो सुलाता है
उसके जैसा शुभम नही कोई
सब की बिगड़ी वो ही बनाता है
©शुभम कश्यप

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दौड़ने दे ख़ुदा मेरे या अपनी ज़मीन रख
उड़ने दे हवाओं में या फिर आसमान रख,
होशो-हवास में की नहीं ग़ुस्ताख़ी कोई
तेरी आयतों में रहा उसका तो मान रख।

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