Mohd. Anees   (अनीस 'राही')
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Joined 9 August 2018


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Joined 9 August 2018
19 APR AT 8:18

जम्हूरियत का है ज़श्न
चल वोट करें
आज न कोई और शगल
चल वोट करें
हाथ से हाथ पकड़
चल वोट करें
दिल से दिल मिला
चल वोट करें
मुल्क़ की तरक्की खातिर
चल वोट करें
नफ़रतों पर चोट खातिर
चल वोट करें
सरकार की है गुज़ारिश
चल वोट करें
सरकार नयी है बननी
चल वोट करें
लोकतंत्र पर न आए आंच
चल वोट करें
मतदान है अधिकार, कर्त्तव्य भी
चल वोट करें

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7 APR AT 11:21

आओं बैठें किसी पेड़ की छाँव में
फ़ुरसत लगी है अरसे से दाँव में
शहर की भीड़-भाड़ चुभने लगी है
चलों कुछ दिन गुजारे फिर गाँव में
उड़ती थी धूल जहां हवा के संग
कंक्रीट चुभन दे रही मेरे पाँव में
हर यार मशगूल एक शगल में हैं
तनहा बैठा हूँ मैं यादों की नाँव में
थोड़ा ठहराव भी जरूरी है ठहर राही
बड़ा सुक़ून है यहां पीपल की छाँव में

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30 MAR AT 4:47


सितारें टिमटिमाते है रौशनी नहीं है
चांद नहीं निकला तो चांदनी नहीं है
अंधेरे से मिलना रास आ गया हमें
उम्मीदे वस्ल भी अब जागती नहीं है

जागे तो बेचैनी छाईं रहती है दिल पर
गर ख़्वाब की आरजू भी सुलाती नहीं है
अब तो छुट्टी चाहिए मकतब ए इश्क़ से
ये पढ़ाई अब हमें हरगिज़ सुहाती नहीं है

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25 MAR AT 10:46

होली मनभावन आई ले बसंत से बहार
रंग है उमंग है मन भी है उड़ने को तैयार
किस को लगाएं रंग किस को छोड़ दें
रंगों के छाप से रब्बा दिलों को जोड़ दें
रंगों में दें वो असर नफ़रत हो जाए बेअसर
दिलों से दिल मिल जाए रहे न कहीं कसर
रंगों का ये है त्योहार रंग इसमें सारे ही तो हैं
लाल हरे का भेद नहीं सब मुझे प्यारे ही तो हैं
खुशियों के साथ होता रहा बस ज़रा सा ये मलाल
जाने क्या है उसका हाल रंग न सका जिसके गाल
उड़ते उड़ते रंग सारे बिखर गये फिज़ा में चहुंओर
होली है भई होली है गली मोहल्ला बस यही शोर

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18 MAR AT 18:06

ख़ुद को मत समझो कमज़ोर तुम वीर हो
भारत भाग्य लिखने वाली तुम लकीर हो
आशाओं के द्वीप पर आशंकाओं के पार
लक्ष्य पर दृष्टि धरे प्रतिक्षारत तुम धीर हो
जो लौट आए हैं मंज़िलो से उनसे पता करो
मुश्किलें पहचान आगे बढ़ने की तदबीर हो
लुटा दी दौलत सारी ही दिल लुटाने के साथ
हाथ न फैलाएं जो कभी तुम वो फ़कीर हो

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5 MAR AT 9:11

उठ सोई उम्मीदों को जगा
गीले सपनों को धूप दिखा
प्रगति का पथ बड़ा सरल
चल पड़ो तुम मन को लगा
सुरज से पहले चलना होगा
ख़ुद से ख़ुद को न दें दगा
मील के पत्थर मंज़िल नहीं
देते हैं लक्ष्य से दूरी का पता

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29 FEB AT 22:11

दूर दूर क्यों हो तुम जुदा होने की ख़्वाहिश है क्या
सताने की आदत है तेरी ये नई आजमाईश है क्या

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28 FEB AT 21:58

लबों को अपने सी लेंगे
ग़म के आंसू हम पी लेंगे
तु नहीं तेरी तस्वीर सही
यादों के सहारे जी लेंगे

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27 FEB AT 23:59

नज़रिया बदल जाएगा इश्क़़ की नज़र से देखो न
इज़हार करते चलों भावनाओं को दिल में रोको न

तुम्हारी आवाज़ सुनने को तरस गये है कान मेरे
कोई बात बुरी गर लगती है मुझको तुम रोको न

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21 FEB AT 23:03

दस्तूर दुनिया का बड़ा ही निराला है
दिल हारा वो ही जो के दिलवाला है

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